जगदलपुर। (बस्तर न्यूज) बस्तर दशहरा पर्व मे चलने वाली दुमंजिला काष्ठ रथ निर्माण के लिए जंगल से लकड़ी पहुंचनी शुरू हो गई है। रथ के चक्के सहित अन्य हिस्सों के लिए ट्रकों में साल पेड़ के लकड़ी सिरहासार भवन के सामने लाने रहे हैं। झारउमरगांव व बेड़ाउमरगांव के कारीगर 15 सितंबर के बाद रथ निर्माण का काम शुरु करेंगे ।
बस्तर दशहरा पर्व का अगला महत्वपूर्ण रस्म काछनगादी 25 सितंबर को होगा ।
बस्तर दशहरा पर्व का डेरी गडाई विधान 8 सितंबर को सम्पन्न होने के बाद माचकोट और दरभा के जंगल से लकड़ी लाने का काम शुरू कर दिए गए है। दुमंजिला काष्ठ रथ के चक्के सहित अन्य हिस्सों के लिए ट्रकों में साल पेड़ के गोले पहुंचने लगे हैं। बताया जा रहा है कि 15 सितंबर के बाद झारउमरगांव व बेड़ाउमरगांव के कारीगर रथ बनाने के लिए पहुंचेंगे। 13 सितंबर को माचकोट-पुसपाल जंगल से ट्रक में साल के गोले शहर पहुंची। इसके साथ ही बकावंड क्षेत्र के काकड़ापसार सहित दरभा के झीरम और अन्य क्षेत्र की लकड़ियां भी पहुंचनी शुरू हो गई है।
वन कर्मियों की मौजूदगी में पेड़ कटाई
तहसीलदार पुष्पराज पात्रा ने बताया कि राजस्व और वन कर्मियों की मौजूदगी में ग्रामीण चिन्हित पेड़ों की कटाई कर उपयुक्त लकड़ी के गोले शहर पहुंचा रहे हैं। लकड़ियां पहुंचने के बाद रथ निर्माण शुरू होगा। इसके लिए बेड़ाउमरगांव व झारउमरगांव के रथ शिल्पकारों को खबर भेजा गया है। उन्होंने अपनी सहमति दे दिए हैं। बारसी उतारनी रस्म के बाद रथ निर्माण कार्य शुरू करेंगे ।
32 फीट ऊंचा होगा फूल रथ
बस्तर दशहरा पर्व में एक वर्ष 8 चक्के का और दूसरे साल 4 चक्के का रथ बनाया जाता है। इस बार 8 चक्के के रथ का निर्माण किया जाना है। रथ की ऊंचाई लगभग 32 फीट और चौड़ाई 19 फीट होगी। बस्तर दशहरा में फूल रथ की परिक्रमा एक महत्वपूर्ण विधान है। फूल रथ की परिक्रमा जोगी बिठाई के बाद प्रतिदिन अष्टमी तक चलेगी।