जगदलपुर । (बस्तर न्यूज) 28 अगस्त 1949 को भारत सरकार द्वारा भारतीय सेना के जवानों के कल्याण के लिए एक समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने 7 दिसंबर को प्रतिवर्ष झंडा दिवस मनाने के लिए चुना । वहीं जवानों के कल्याण हेतु धन जमा करने के लिए समिति ने लोगों के बीच छोटे झंडे बांटकर, उससे चंदा इकट्ठा किया । इस झंडे में तीन रंग (लाल, गहरा नीला और हल्का नीला) तीनों सेनाओं को प्रदर्शित करते है । सशस्त्र सेना झंडा दिवस पर किए गए धन संग्रह के तीन मुख्य उद्देश्य हैं। पहला युद्ध के समय हुई जनहानि में सहयोग, दूसरा सेना में कार्यरत कर्मियों और उनके परिवार के कल्याण और सहयोग के लिए और तीसरा सेवानिवृत्त कर्मियों और उनके परिवार के कल्याण हेतु ।
सशस्त्र सेना झंडा दिवस इसलिए है खास
सशस्त्र सेना झंडा दिवस देश के नाम आपना जीवन करने वाले दिव्यांग पूर्व सैनिकों, युद्ध में वीर गति प्राप्त किए हुए सैनिकों की विधवाओं, शहीदों के परिवार जनों की देखभाल करने के लिए मदद सुनिश्चित करता है और उनके प्रति हमारी प्रतिबद्धता और सम्मान का प्रतिक है। सैनिक देश की वो ढाल होते हैं, जो देश को हर खतरे और बुराइयों से बचाते हैं, सैनिक देश का वो गौरव हैं जो हमेशा देश का अभिमान बनके देश की रक्षा और मान बढ़ाते हैं। अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए बहुत से सैनिकों ने अपने प्राणों तक बलिदान दे देते हैं । और देश के दुश्मनों का मुहतोड़ जवाब देने के लिए हमारे वीर सेनानी हमेशा तैयार रहते हैं।
सशस्त्र सेना झंडा दिवस के मौके पर विंग कमांडर जितेंद्र पात्रो (जिला सैनिक कल्याण अधिकारी), भारी संख्या में भूतपूर्व सैनिक, युवक युवतियां, बच्चे एवं अन्य लोग भी मौजूद थे ।