जगदलपुर । (बस्तर न्यूज) बस्तर दशहरा के प्रमुख विधान काछनगादी में जिन नाबालिग कन्याओं को देवी स्वरूपा बेल के कांटे में झुलाया जाता है, उन्हें बस्तरवासी देवी स्वरूपा मानते हैं। पिछले पांच साल से अनुराधा काछन देवी बनकर दशहरा पर्व मनाने की अनुमति देती रही। इस साल नंदनी काछन देवी के रूप में बस्तर दशहरा पर्व मनाने की अनुमति देंगी । निर्विघ्न दशहरा पर्व सम्पन्न हो, इसके लिए काछन देवी के रूप में उपासना शुरू कर दी है। दशहरा पर्व संपन्न होने तक जारी रहेगा।
इस साल नंदनी बनेंगी काछन देवी, 25 सितम्बर तक रहेंगी निराहार
बस्तर दशहरा पर्व के दौरान भंगाराम चौक स्थित काछन गुड़ी में एक नाबालिग लड़की को काछन देवी के रूप में श्रृंगारित कर बेल कांटा के झूले में झुलाया जाता है। इस साल काछन पूजा विधान 25 सितम्बर की शाम को सपन्न होगा। बीते 20 सालों में उर्मिला, कुंती, विशाखा और अनुराधा काछन देवी बनती आ रही हैं। इस साल 8 वर्षिय नंदनी कश्यप काछन देवी बनेगी। काछन पूजा के दिन नंदनी दशहरा पर्व मनाने की अनुमति देगी । काछन देवी के रूप में 25 सितम्बर तक व्रत रखकर उपासना करेंगी ।
उपासना के पूर्व कांडाबारा रस्म
बडे मारेगा निवासी दयादास कश्यप की बेटी नंदनी कश्यप इस साल काछन देवी के रूप में बस्तर दशहरा पर्व मनाने की अनुमति देंगी। काछन देवी के रूप में उपासना शुरू करने के पूर्व नंदनी का कांडाबारा रस्म अदायगी की गई। पारम्परिक रूप से मंडपाच्दन के बाद हल्दी लेपन किया गया।
डाॅकटर बनाने की चाह
बस्तर दशहरा पर्व में काछन देवी बनी मारेंगा निवासी नंदनी के पिता दयादास ने बताया कि परम्परा का निर्वहन करते हुए काछन देवी बना रहे हैं। नंदनी डाॅक्टर बनना चाहती है, उसे डाॅक्टर बनना अच्छा लगता है। उन्होंने बताया कि उसकी बेटी पढ़ाई-लिखाई में होशियार है। अभी वह मारेंगा प्राथमिक शाला में अध्ययनरत है ।
संकलनकर्ता – महेंद्र सेठिया