Sukma

प्रदेश का पहला नक्सल मुक्त ग्राम बना गांव बडेसट्टी

रायपुर। उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने सुकमा जिले में 11 सक्रिय माओवादियों के सामूहिक आत्मसमर्पण को ऐतिहासिक बताया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सलवाद के समाधान के लिए जिस संवेदनशील और दूरदर्शी नीति को अपनाया है, उसका परिणाम अब ज़मीनी स्तर पर दिखने लगा है। आज का आत्मसमर्पण इस बात का प्रमाण है कि विश्वास, पुनर्वास और विकास की त्रिस्तरीय रणनीति से माओवादियों को मुख्यधारा से जोड़ने में सफलता मिल रही है। मैं आत्मसमर्पण करने वाले सभी का स्वागत करता हूँ और उन्हें एक नए जीवन की शुरुआत के लिए शुभकामनाएं देता हूँ।

छत्तीसगढ़ शासन की नक्सलवादी आत्मसमर्पण एवं पीड़ित राहत पुनर्वास नीति – 2025 एवं नक्सली इलवद पंचायत योजना के तहत आज सुकमा जिले की ग्राम पंचायत बड़ेसट्टी से कुल 11 सक्रिय नक्सलियों ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय सुकमा में आत्मसमर्पण किया। इस प्रकार बडेसट्टी ग्राम नक्सल सदस्य मुक्त होने वाला प्रदेश का पहला ग्राम पंचायत होगा। इस योजना के तहत ग्राम पंचायत को 1 करोड़ रुपये के निर्माण कार्यो की स्वीकृति मिलेगी। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि नियद नेल्लानार योजना, पुलिस जवानों की सतत उपस्थिति, नक्सली संगठनों की क्रूरता और भेदभाव तथा शासन की नई नीतियों से मिले भरोसे से मिली। यह घटना न केवल बड़ेसट्टी पंचायत के लिए, बल्कि समूचे सुकमा और बस्तर अंचल के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है कि अब बंदूक नहीं, विकास की राह ही बदलाव का मार्ग है।

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि अब नक्सलमुक्त ग्राम पंचायत घोसित होने की शुरुआत सुकमा जिले से हो चुकी है, निश्चित रूप से बस्तर सहित पूरे प्रदेश के ग्राम पंचायत अब नक्सलमुक्त होंगे। नक्सलमुक्त होते ही ग्राम पंचायत का भी विकास होगा।

नक्सली इलवद पंचायत योजना के तहत ऐसे ग्राम पंचायतों को जहाँ से सभी सक्रिय नक्सली संगठन छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटते हैं, नक्सल-मुक्त ग्राम पंचायत घोषित किया जाता है। शासन की इस योजना के अंतर्गत ऐसे ग्राम पंचायतों को एक करोड़ की राशि निर्माण कार्यों हेतु तत्काल स्वीकृत की जाती है। यह राशि शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पेयजल, सामुदायिक भवन जैसे प्राथमिक ढांचे के विकास में व्यय की जाती है, जिससे क्षेत्र में स्थायी शांति और विकास सुनिश्चित किया जा सके। आत्मसमर्पित माओवादियों में से चार पर दो-दो लाख रुपये और एक पर पचास हजार रुपये का कुल 8.50 लाख का इनाम घोषित था। सभी आत्मसमर्पितों को पुनर्वास नीति के अंतर्गत 50,000 की प्रोत्साहन राशि, वस्त्र और अन्य आवश्यक सुविधाएँ प्रदान की गईं हैं। शासन द्वारा उन्हें आगे स्वरोजगार, शिक्षा और सामाजिक पुनःस्थापन की दिशा में हर संभव सहायता दी जाएगी।

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