जगदलपुर

लोकतंत्र बनाम माओवाद विषय पर विचार गोष्ठी का हुआ आयोजन

जगदलपुर/बस्तर न्यूज 

बस्तर शांति समिति के संयोजन में “लोकतंत्र बनाम माओवाद” विरासत का बोझ विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन नगर के डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी हाल जगदलपुर में किया गया । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रदेश के उप मुख्यमंत्री व गृह मंत्री विजय शर्मा, अध्यक्षता वन मंत्री केदार कश्यप तथा मुख्य वक्ता प्रसिद्ध लेखक राजीव रंजन प्रसाद  उपस्थित थे।

बस्तर शांति समिति ने विचार गोष्ठी के उक्त संदर्भित विषय के संबंध में ऐतिहासिक तथ्यों को भी साझा किया। कहा जाता है कि, चीन माओवाद का ध्वजवाहक देश है, जहां लौह आवरण में सिसकता लोकतंत्र है। एक ऐसा देश जहां माओ के सिद्धान्त की केंचुली ओढ़कर पूंजीवाद और बन्दूक की नली के भरोसे महाशक्ति बनकर दुनिया पर राज करना एकमात्र लक्ष्य है । उस चीन की केंचुली उतरने और लोकतंत्र विरोधी विभत्स चेहरा का गवाह है बीजिंग का थ्येन आनमन चौक। चीन में लोकतंत्र के लिए हुई क्रांति और उसका बर्बरतापूर्वक दमन चक्र का रक्त रंजित इतिहास है थ्येन आनमन चौक। आधुनिक वैश्विक इतिहास के पन्ने पर दर्ज रक्त रंजित तारीख 4 जून 1989 को कम्युनिस्ट पार्टी के उदारवादी नेता हू याओबांग की मौत के विरोध में हजारों छात्र इस चौक पर प्रदर्शन के लिए इकट्ठा हुए थे। 30 वर्ष पूर्व 4 अप्रैल से 4 जून तक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करते हुए लोकतंत्र की मांग करने वाले छात्रों और नागरिकों पर चीनी सैनिकों ने क्रूरतापूर्वक गोलीबारी की थी। चीन की कम्युनिस्ट सरकार के दमन चक्र के लाल धब्बों को थ्येन आनमन चौक से कभी नहीं मिटाया जा सकता। जनता तानाशाही से मुक्ति, लोकतंत्र, स्वतंत्रता, सामाजिक समानता, प्रेस और बोलने की आजादी की मांग कर रही थी। वहीं बढ़ती मंहगाई, कम वेतन आदि के कारण से चीनियों में रोष व्याप्त था। एक तरफ चीन के माओवाद के असल रूप का आईना दिखाता थ्येन आनमन चौक है।

इस विचार गोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रसिद्ध लेखक राजीव रंजन प्रसाद ने मंच से अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय गणतंत्र का लोकतंत्र है, जहां संविधान का राज है, अभिव्यक्ति की आजादी है, मौलिक अधिकारों का कवच है, जनता के प्रति जवाबदेही है, विकास के लिए प्रतिबद्ध सरकार है। यहां समस्याओं का समाधान बंदूक की गोलियों से नहीं, बल्कि विरोधी विचारों के सम्मान, संवाद, आपसी चर्चा बोलियों में है। वो जिसे माओवाद कहते हैं, वैसा आचरण में करते नहीं हैं। हम जो कहते हैं वो करते भी हैं। वहां छद्म माओवाद है। हमारे यहां प्रखर राष्ट्रवाद है। चीन में रहने वाले लोग नहीं जानते कि लोकतंत्र क्या है, भारत लोकतंत्र की बुनियाद है। राजीव रंजन प्रसाद ने ऐतिहासिक तथ्यों के साथ माओवाद के खतरे के प्रति समाज को आगाह किया ।

माओवाद की काली छाया से मुक्ति चाहता है बस्तर : विजय शर्मा

 

“लोकतंत्र बनाम माओवाद” पर अपने विचार प्रकट करते हुए प्रदेश केेे उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा बस्तर आज नक्सलवाद की काली छाया से अब मुक्ति चाहता है। नई क्रांति चाहता है। बहुत स्पष्टता से बस्तर कह रहा कि गनतंत्र नहीं, जनतंत्र चाहिए, बुलेट नहीं, बैलेट चाहिए। यहां के हमारे युवा साथियों से अपील है कि आप इसमें अपना योगदान करें, आप सोशल मीडिया के माध्यम से भी सीमा पर तैनात एक सैनिक की तरह अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। गृह मंत्री ने सवाल उठाया कि बस्तर के जंगलों में बंदूक पकड़कर क्यों घूमा जा रहा है? उन्होंने कहा कि, मैं नौजवानों से यह जानना चाहता हूं कि बस्तर के गांवों में सड़क, पानी, बिजली, स्कूल, अस्पताल, आंगनबाड़ी, मोबाइल टॉवर नहीं होना चाहिए क्या। क्यों सड़क, पुल पुलिया बनाने से रोक दिया जाता है? कहते हैं यहां से खोदाई कर खनिज ले जाएंगे। अभी खुदाई नहीं हो रही है क्या? और हर गांव में खोदाई होगी क्या? जहां खनिज है वहां खोदाई होगी और प्रधानमंत्री ने डीएमएफ बना दिया है, खोदाई होगी उसका पैसा यहीं इन्वेस्ट होगा, उसे कोई नहीं ले जा सकेगा। कॉरपोरेट कॉरपोरेट किया जाता है, चीन में कॉरपोरेट नहीं हैं क्या? यहां तो कोई इंडस्ट्री लगती है, तो पहले जन सुनवाई होती है, और गांव वालों ने पसंद नहीं किया तो कितनी ही इंडस्ट्री वापस चली गईं। यहां सुनवाई का अवसर है, जहां माओवाद है वहां सुनवाई का कोई अवसर नहीं होता। यहां मजदूर मजदूरी के लिए आंदोलन कर सकते हैं, यहां लोकतंत्र है, क्या चीन में कोई आंदोलन हो सकता है। 1989 में वहां के छात्रों ने लोकतंत्र के लिए आवाज उठाई थी, बीजिंग का थ्येन आनमन चौक पर एकत्र होकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करते हुए लोकतंत्र की मांग कर रहे छात्रों और नागरिकों पर 4 जून 1989 को चीनी सैनिकों ने क्रूरतापूर्वक गोलीबारी की । श्री शर्मा ने आगे कहा कि मोदी सरकार ने अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे राजद्रोह कानून को बदल दिया। पहले राष्ट्र को खंडित करने वाली बात बोल सकते थे, राजा या नेता के खिलाफ नहीं। अब किसी भी नेता के खिलाफ तो बोल सकते हैं, लेकिन कोई भी व्यक्ति राष्ट्र को खंडित करने वाली बात करेगा तो नहीं सुना जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संकल्प लिया था कि धारा 370 खत्म करेंगे तो कर दिया, उनका संकल्प है कि 3 साल में यहां से नक्सलवाद समाप्त कर देंगे। विष्णुदेव सरकार भी इस दिशा में तेजी से काम कर रही है। सरकार ऑपरेशन नहीं चाहती, बातचीत से मसला हल करना चाहती है, क्योंकि जो भटके हुए लोग हैं उनमें 75 प्रतिशत से छत्तीसगढ़ के स्थानीय हैं, हमारे अपने हैं। लेकिन नहीं माने तो सख्ती होगी, क्योंकि हम सब चाहते हैं कि बस्तर से नक्सलवाद की काली छाया दूर होनी चाहिए।

नक्सलवाद बस्तर के लिए एक दंश है : केदार कश्यप 

कैबिनेट मंत्री केदार कश्यप अपने उद्बोधन में भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद बस्तर के लिए एक दंश है। मेरी तो रूह कांप जाती है, जब मैं अपनी जहन में उन नक्सल घटनाओं को सोचता हूं, जिसमें नक्सलियों ने निर्मम और क्रूरतापूर्वक हमारे कई जवानों और सलवा जुडूम के लोगों को मारा। भारत ने चीन को शांति का धर्म दिया, उसके बदले चीन ने भारत को कम्युनिस्ट विचारधारा दी, जिससे बस्तर में माओवाद पनपा। मैं उन शहीद और पीड़ितों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और उनके परिवार के साहस को प्रणाम करता हूं, जिन्होंने इतनी बड़ी विपत्ति का सामना बड़े ही साहस के साथ किया। कश्यप ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार की “नियद नेल्लानार” योजना नक्सल प्रभावित क्षेत्र में वरदान साबित हो रही है।

इस अवसर पर आयोजन समिति के अध्यक्ष दशरथ कश्यप जी, राजाराम तोड़ेंम एवं गोपाल नाग, महापौर सफीरा साहू, संजय पाण्डेय, विकास मरकाम , समाजसेवी किशोर पारेख, चेंबर के अध्यक्ष मनीष शर्मा सहित बड़ी संख्या में शिक्षाविद, अधिवक्ता, चिकित्सक, इंजीनियर, कॉलेज के छात्र-छात्राएं, महिलाएं एवं प्रबुद्धजन मौजूद थे।

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