जगदलपुर/बस्तर न्यूज
शहर के अब्दुल कलाम वार्ड की निवासी, 70 वर्षीय रेखा सेन ने मलेशिया के कोआलालंपुर में आयोजित इंटरनेशनल मास्टर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में भारत का नाम रोशन किया। 12 और 13 अक्टूबर 2024 को मिनी स्टेडियम बुकिट जालिल, कोआलालंपुर में हुई । इस प्रतियोगिता में रेखा सेन ने गोला फेंक और तवा फेंक में भाग लिया और शानदार प्रदर्शन करते हुए दो पदक अपने नाम किए। प्रतियोगिता में चीन, श्रीलंका, सिंगापुर, फिलीपींस, हांगकांग, पाकिस्तान, थाईलैंड, ब्रुनेई, इंडोनेशिया, न्यूजीलैंड और उज्बेकिस्तान सहित कई देशों के खिलाड़ी शामिल थे, लेकिन रेखा सेन ने सभी को मात दी और देश के लिए गौरव हासिल किया। इसके पहले भी रेखा सेन नेपाल में आयोजित प्रतियोगिता में तीन गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं।
घायल होने के बावजूद दिखाया अदम्य साहस
रेखा सेन को खेल के दौरान मैदान में गिरने से सिर और घुटने में चोट आई, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपना साहस बनाए रखा और शानदार प्रदर्शन किया। इससे पहले भी वह देश-विदेश में कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुकी हैं और हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में 2024 में दो सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल भी जीता था। हालांकि, कई बार बिना मेडल के लौटना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी।
2020 में खेल दिवस पर किया गया था सम्मानित
रेखा सेन को 2020 में खेल दिवस के अवसर पर सम्मानित किया गया था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक शिक्षिका के रूप में की थी, लेकिन खेलों के प्रति उनका जुनून हमेशा से रहा है। सेवा निवृत्ति के बाद, 2016 में वह छत्तीसगढ़ वेटरन एथलेटिक्स एसोसिएशन से जुड़ीं और उसी वर्ष कादम्बरी संस्था का भी हिस्सा बनीं।
जीवन में चुनौतियों का सामना करते हुए सफलता पाई
2013 में पति के निधन के बाद रेखा सेन मानसिक रूप से टूट गई थीं, लेकिन उन्होंने अपनी खेल प्रतिभा को फिर से उभारते हुए कई जगहों पर खुद को साबित किया। उनके इस संघर्ष और सफलता की कहानी हर किसी के लिए प्रेरणादायक है। कई बार उन्हें अपने ही लोगों से अपमानित होना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और आज वे उन्हीं पर भारी पड़ रही हैं।
परिवार और प्रशिक्षकों को दिया जीत का श्रेय
अपनी इस महत्वपूर्ण जीत का श्रेय रेखा सेन ने अपने बेटे डॉ. सुमंत सेन और बेटी सुरभि आशीष को दिया। साथ ही, उन्होंने अपने कोच नबी सर और गुलाब सर का भी धन्यवाद करते हुए कहा कि उनके बिना यह सफलता संभव नहीं थी। कादम्बरी संस्था का भी उन्होंने विशेष रूप से आभार प्रकट किया, जिन्होंने हमेशा उन्हें प्रेरित किया और प्रोत्साहित किया। रेखा सेन की यह उपलब्धि ना केवल उनके परिवार बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है। उनका हौसला और समर्पण आज के युवाओं के लिए एक मिसाल है।