जगदलपुर

भगत सिंह स्कूल में बच्चों ने मुंशी प्रेमचंद की जयंती मनाई गई

जगदलपुर/बस्तर न्यूज

शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भगत सिंह में 31 जुलाई को गोस्वामी तुलसीदास एवं मुंशी प्रेमचंद की जयंती मनाई गई। सर्वप्रथम महान संत तुलसीदास एवं उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद छायाचित्र पर सभी ने पुष्प अर्पण कर दीप प्रज्वलन किए गए।

प्राचार्य श्रीमती विनीता बेंजामिन ने इस अवसर पर तुलसीदास एवं मुंशी प्रेमचंद के बारे में बताते हुए कहा कि भक्ति काल के सुप्रसिद्ध कवियों में गोस्वामी तुलसीदास सर्वोपरि थे और मुंशी प्रेमचंद ने भारत की शोषित, पीड़ित जनता और समाज पर जमींदार और सामंतों ब्रिटिश हुकूमत, सामाजिक अन्याय, बाल विवाह और विधवा विवाह तथा सामाजिक कुरीतियों को दूर करने में मुंशी प्रेमचंद के साहित्य बड़ा योगदान है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए व्याख्याता चंद्रप्रकाश देवांगन ने रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास के जीवन परिचय कराते हुए सभी विद्यार्थियों को बाल कांड, अयोध्या कांड, किष्किंधा कांड, सुंदर कांड, लंका कांड और उत्तरा कांड के विषय में बताया गया।

कक्षा 12वीं की छात्राएं कुमारी सृष्टि, कुमारी साक्षी और भूमि ने रामचरितमानस की प्रसिद्ध कुछ पंक्तियों का सस्वर वाचन किया। हिंदी की व्याख्याता डॉ श्रीमती आशा पटनायक ने विद्यार्थियों को तुलसीदास के जीवन परिचय से अवगत कराया। तत्पश्चात हिंदी साहित्य के उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद के जीवन परिचय कक्षा नवमी के छात्र अनिकेत तिवारी ने पढ़कर सुनाया। कक्षा नवमी की छात्रा कुमारी रिद्धि साहू ने प्रेमचंद की कहानी दो बैलों की जोड़ी, कुमारी चंचल सेठिया ने और कुमारी सारा सूर्या ने गुल्ली डंडा और ईदगाह कहानी को सुनाएं। छात्र साइकिरण ने पूस की रात और अंजलि ने बूढ़ी काकी और टिकेश्वरी ने आखरी तोहफा और अनीता सविता ने प्रेमचंद के उपन्यास और साहित्य पर अपने अनुभव सुनाए। संस्कृत के व्याख्याता अनिल शुक्ला प्रेमचंद ने छोटी-छोटी कहानियों पर और तुलसीदास के चौपाइयों का अर्थ बताते हुए गायन किया। इस मौके पर गोस्वामी तुलसीदास और मुंशी प्रेमचंद की जीवन पर आधारित उनके रचनात्मक और साहित्यिक रचनाओं पर प्रश्नोत्तरी का कार्यक्रम रखा गया था। जिसमें सभी विद्यार्थियों ने भाग लिया।

इस अवसर पर शिक्षक श्रीमती हेमावती चिहाने, अनिल शुक्ला, अभिराम पटेल, नीतू शर्मा, अंजू रावते, किरण महापात्र, अनामिका शर्मा, भारती नामदेव आदि उपस्थित थे।

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