जगदलपुर/बस्तर न्यूज
गुरू पूर्णिमा के अवसर पर अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के द्वारा संघ कार्यालय में गुरू पूर्णिमा पर्व पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। अधिवक्ताओं ने गुरु पूर्णिमा पर्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का आरम्भ भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण और भगवा ध्वज को प्रणाम करते हुए किया।

अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के संभागीय अध्यक्ष सपन देवांगन ने गुरु पूर्णिमा का महत्व बताते हुए कहा कि गुरु पूर्णिमा आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है क्योंकि इसी दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था, जिन्होंने वेदों को चार भागों में विभाजित कर मानवता को ज्ञान का अमूल्य खजाना दिया। यही कारण है कि उन्हें सभी गुरुओं का गुरु माना जाता है। वरिष्ठ दिनेश पानीग्राही ने कहा कि गुरु, अज्ञान के अंधकार को दूर करके ज्ञान का प्रकाश फैलाते हैं और सही मार्ग दिखाते हैं। वे न केवल शिक्षा प्रदान करते हैं, बल्कि जीवन के हर पहलू में मार्गदर्शन करते हैं।
अधिवक्ता परिषद के जिला अध्यक्ष अर्पित मिश्रा ने कहा गुरु वह है, जो ज्ञान दे। इस आधार पर व्यक्ति का पहला गुरु माता पिता को माना जाता है। दूसरा गुरु शिक्षक होता है जो अक्षर ज्ञान करवाता है। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गुरु भागवत ध्वज की विशेषताओं का वर्णन किया।
कार्यक्रम का संचालन श्रीनिवास रथ ने किया। इस संगोष्ठी में अधिवक्ता परिषद के सपन देवांगन, दिनेश पानीग्राही, अर्पित मिश्रा, प्रीति वानखेड़े, प्रतिमा राय, तापस विश्वास, लक्ष्नी भारती, जयप्रकाश पाढ़ी, शक्ति चौहान, शौरभ चौरसिया, राहुल पाठक, अदिति रावत, सावित्री बघेल, निकिता पानीग्राही, जयांश देवांगन, सहित बड़ी संख्या में अधिवक्तागण उपस्थित थे।