जगदलपुर/बस्तर न्यूज
360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज अध्यक्ष वेदप्रकाश पांडे व अन्य पदाधिकारियों ने श्री जगन्नाथ मंदिर में प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए बस्तर गोंचा महापर्व 2025 के तहत होने वाले विभिन्न धार्मिक और संस्कृत पूजा विधानों की जानकारी दी। 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज अपने अनवरत् 618 वषों से समृद्ध रियासतकालीन परम्परा का निर्वहन करते हुए प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी 11 जून से 6 जुलाई तक बस्तर गोंचा महापर्व का आयोजन कर रही है।
विगत 11 जून को देवस्नान पूर्णिमा (चंदन जात्रा) पूजा विधान के साथ बस्तर गोंचा महापर्व 2025 का आगाज हो चुका है। श्री श्री जगन्नाथ भगवान के अनसर काल की समाप्ति के साथ 26 जून को नेत्रोत्सव पूजा विधान के उपरांत 27 जून को पारम्परिक बस्तर के तोप (तुपकी) के गर्जना के बीच श्रीगोंचा रथयात्रा पूजा विधान के साथ भगवान श्री जगन्नाथ, बहन सुभद्रा व बलभद्र स्वामी के 22 विग्रहों को तीन रथों पर रथारूढ़ कर परिकमा उपरांत जनकपुरी (गुण्डिचा मण्डप) में विराजित किये जायेंगे, जहाँ अनवरत 9 दिनों तक श्रद्धालु भगवान के दर्शन का पुण्य लाभ प्राप्त करेंगे।
इस दौरान निर्धारित कार्यक्रमों के अनुसार दिनांक 27 जून से 5 जुलाई तक प्रत्येक दिवस समाज के द्वारा विविध धार्मिक, सांस्कृतिक अनुष्ठान की परम्परा के निर्वहन की व्यवस्था भी की गई है। गोंचा महापर्व के दौरान प्रत्येक दिवस संध्या 7:30 बजे भगवान की महाआरती के उपरांत भजन-कीर्तन के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन होंगे, जिसमें स्थानीय एवं सांस्कृतिक मंत्रालय छत्तीसगढ़ शासन के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर के कलाकारों द्वारा भजन संध्या की प्रस्तुति होगी।
प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष 30 जून को अखण्ड रामायण पाठ का आयोजन बनमाली पानीग्राही परिवार जगदलपुर के द्वारा किया जावेगा। निःशुल्क उपनयन संस्कार दिनांक 04 जुलाई को समाज के द्वारा सम्पन्न करवाया जावेगा। वही 1 जुलाई हेरापंचमी को दोपहर में समाज के बुजुर्गो का सम्मान के साथ-साथ भगवान श्री श्री जगन्नाथ को सलामी देने हेतु तुपकी बनाने वाले ग्रामीण तुपकी निर्माताओं का भी सम्मान होगा। हेरापंचमी के शुभ अवसर पर संध्या बेला में श्री श्री जगन्नाथ मंदिर से लक्ष्मीजी की डोली नगर भ्रमण कर जनकपुरी सिरहासार पंहुचेगी, जहां लक्ष्मी-नारायण संवाद का कार्यक्रम सम्पन्न होगा। 2 जुलाई 2025 को गुण्डिचा मण्डप सिरहासार में भगवान श्री जगन्नाथ प्रभु को ओंकार पाण्डे परिवार के द्वारा प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी छप्पन भोग का अर्पण कार्यक्रम सम्पन्न किया जावेगा। गोंचा महापर्व को मेला का स्वरूप प्रदान करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी पर्व के दौरान 8 दुकानें स्थापित की जा रही है। जहां पूजा सामग्रियों व धार्मिक वस्तुओं के साथ-साथ भगवान श्री जगन्नाथ को प्रिय भोग प्रसाद भी श्रद्धालुओं के लिये उपलब्ध होंगे।
प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी नगर पालिक निगम के सहयोग से गोंचा गुड़ी का निर्माण करवाया जा रहा है। जहाँ पर दिव्यांग, वृद्धजन भी बैठकर गोचा महापर्व का आनन्द प्राप्त कर सकेंगे । नगर निगम के द्वारा गोंचा महापर्व के दौरान शुद्ध पेयजल एवं साफ-सफाई की महत्वपूर्ण व्यवस्था भी प्रदान की जावेगी ।
360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष ने कहा कि शताब्दियों से रियासतकालीन परम्परानुसार भगवान श्री जगन्नाथ को अमनिया अर्थात् सात्विक शुद्ध भोग का अर्पण 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के 14 क्षेत्रीय समितियों में विभक्त 108 से अधिक ग्रामों में निवासरत् समाज के रिवारों द्वारा 28 जून से 04 जुलाई 2025 तक प्रतिदिन भोग लगाने के पश्चात् श्रद्धालुओं को वितरण किया नावेगा।
नवीन रथ निर्माण कार्य भी पूर्णता की ओर है, एक रथ के नवीन कपड़ों का निर्माण टेम्पल कमेटी जगदलपुर के माध्यम से कराया जा रहा है। इस वर्ष विद्युत साज-सज्जा के साथ भव्य स्वरूप में रथ संचालन करने की व्यवस्था की जा रही है।
बस्तर के गोंचा महापर्व में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से ग्रामीण एवं विभिन्न समुदाय के लोग प्रतिवर्ष अपनी सहभागिता निभाते हैं। समाज महापर्व को भव्य स्वरूप प्रदान करने हेतु निरंतर प्रयासरत् हैं। 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज गोंचा महापर्व में सभी समाज, समुदाय के लोगों को महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी के दर्शन लाभ हेतु आंमत्रित करती है। बस्तर अंचल का दशहरा पर्व एवं गोंचा महापर्व अपनी समृद्ध गौरवशाली परम्पराओं के लिए देश-विदेश तक अपना विशिष्ट स्थान रखता है, जो आप सभी के सहयोग के बिना संभव नहीं है। इस हेतु प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी आपके सहयोग की अपेक्षा समाज करती है। 5 जुलाई को बाहुड़ा गोंचा पूजा विधान के साथ भगवान श्री जगन्नाथ, बहन सुभद्रा एवं बलभद्र स्वामी श्री मंदिर लौटेंगे, एवं कपाट फेड़ा पूजा विधान में माता लक्ष्मी एवं महाप्रभु श्री जगन्नाथ के मध्य संवाद पश्चात् गर्भगृह में स्थापित होंगे। 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी के साथ गोंचा महापर्व का परायण आगामी वर्ष के लिए होगा ।