जगदलपुर/बस्तर न्यूज
विकासखंड बस्तर के कारीतराई बस्ती में एक ऐसा शिवालय है, जहां शिव प्रतिमा को प्राण प्रतिष्ठा से पहले धान से ढंक दिया गया था। इसके बावजूद एक नाग यहां आकर शिव से लिपट गया और दूसरे दिन अपनी केंचुली छोड़कर चला गया। अब यह शिवालय नागेश्वर महादेव के नाम से चर्चित हो गया है। यह शिवालय अब बस्तरवासियों के लिए आस्था का बड़ा केंद्र बना चुका है।
महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां विशेष अनुष्ठान की तैयारी की जा रही है। विकासखंड बस्तर से करीब 4 किमी दूर कारीतराई बस्ती है। यहां का नागेश्वर महादेव मंदिर वर्षों से शिवभक्तों के लिए आराधना स्थल है।
वर्षों तक झोपड़ी में रहे शिव
बताया गया कि पहले यह मंदिर मुख्य मार्ग के किनारे था। सड़क चौड़ीकरण के कारण इस मंदिर हटाकर पास ही दूसरा मंदिर बनाया गया। तब तक महादेव की प्रतिमा को केन्द्रीय रेशम कार्यालय कैम्पस की एक झोपड़ी में रही। सड़क ठेकेदार ने नया मंदिर बनवाने का आश्वासन दिया था। किंतु वह अहाता बनाकर चला गया। वर्षों बाद ग्रामवासियों के आग्रह पर स्थानीय विधायक लखेश्वर बघेल ने नव शिवालय के लिए बस्तर विकास प्राधिकरण मद से 3 लाख रूपये स्वीकृति प्रदान किया गया था।
केंचुली छोड़ गए नागराज
बताया गया कि पुराने मंदिर से महादेव की मूर्ति निकालते समय वह खण्डित हो गई थी। इसलिए रायपुर से शिवलिंग और नंदी आदि लाया गया। प्राण प्रतिष्ठा से पहले इन्हे धान में ढककर रखा गया था। इस बीच एक दैवीय घटना यहां हुई। एक नाग धान से ढंके शिवजी के ऊपर आकर बैठ गया। भक्तों ने इसे भगवान का करिश्मा माना, वहीं नागराज को कोई क्षति न पहुंचे इसलिए सांप पकड़ने वाले एक पुलिस कर्मी को बुलाकर नाग को पकड़ा गया और जंगल में छोड़ दिया गया। दूसरी घटना यह कि कुछ सप्ताह बाद शिवलिंग को स्थापना करने धान को हटाया गया तो वहां नाग लिपटी हुई थी। अब इसे शिव महिमा माना जा रहा है कि केंचुली मिली। जो शिव से प्राण प्रतिष्ठा के पहले नागराज लिपटे थे। इसलिए इस मंदिर का नाम नागेश्वर महादेव मंदिर रखा गया है।