जगदलपुर/बस्तर न्यूज
छत्तीसगढ़ की पारंपरिक संस्कृति और ऐतिहासिक घटनाओं को फिल्मी पर्दे पर लाने का प्रयास निरंतर जारी है। इसी कड़ी में फिल्म निर्देशक राजा खान झिटकू मिटकी नामक फिल्म सच्ची घटना पर आधारित एक फिल्म लेकर आ रहे हैं। यह फिल्म छत्तीसगढ़ के बस्तर की प्राचीन परंपराओं और इतिहास को दुनिया के सामने लाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम बनेगी। यह फिल्म 7 फरवरी 2025 को रिलीज होने जा रही है।
झिटकू-मिटकी फिल्म सच्ची घटना पर आधारित फिल्म : राजा खान
आज पत्रकार भवन में पत्रवार्ता में पत्रकारों को फिल्म से संबंधित विस्तृत जानकारी देते हुए फिल्म निर्देशक राजा खान ने बताया कि फिल्म झिटकू मिटकी में वास्तविकता को दर्शाने के लिए गांव का सेट तैयार किया गया था। जिसे एक वर्ष लगा और यह पूरी फिल्म कंप्लीट करने में उन्हें चार वर्ष लग गया। वही फिल्म में झिटकू का किरदार निभाने वाले हीरो लालजी कोर्राम ने बताया कि वहां एलोरा फारसगांव जिला कोंडागांव का निवासी है।
जब इस फिल्म की हिरोइन के बारे में पत्रकारों ने सवाल किया गया तो फिल्म निर्देशक राजा खान ने बताया कि इस फिल्म में मिटकी का किरदार मुंबई की जानी मानी एक्ट्रेस लवली अहमद ने निभाया है। फिल्म निर्माण पूर्ण होने पर हीरोइन ग्लैमर और सांसारिक मोह को त्याग कर सन्यासी जीवन जीने का प्रण कर संन्यास ले लिया। इसलिए वह फिल्म प्रमोशन में शामिल नहीं हो रही है।
फिल्म की कहानी इतिहास पर आधारित सत्य कथा
इस फिल्म की कहानी तैयार करने में दो साल से अधिक का समय लगा। राजा खान और उनकी टीम ने बस्तर के आदिवासी समुदायों के इतिहास, रीति-रिवाजों और सामाजिक संरचनाओं पर गहन शोध किया। उन्होंने इस दौरान उन ऐतिहासिक पात्रों की प्रामाणिकता को सुनिश्चित किया, जो बस्तर की पौराणिक कथाओं में दर्ज हैं। निर्देशक राजा खान ने कहा कि इस फिल्म का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत को उजागर करना है। फिल्म का निर्माण काफी चुनौतीपूर्ण रहा। वास्तविक स्थानों पर शूटिंग के दौरान आदिवासी संस्कृति के गहरे अनुभव को फिल्माया गया। फिल्म की तकनीकी गुणवत्ता पर भी खास ध्यान दिया गया है।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर बनेगी छत्तीसगढ़ की पहचान
फिल्म “झिटकू-मिटकी” न केवल छत्तीसगढ़ के दर्शकों को, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों को आकर्षित करने का प्रयास करेगी। इस फिल्म से छत्तीसगढ़ की अद्वितीय संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहर को विश्व मंच पर नई पहचान मिलेगी। उन्होंने उम्मीद जताई है कि दर्शक फिल्म को पसंद करेंगे और यह छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत के प्रचार-प्रसार में मील का पत्थर साबित होगी।
फिल्म बनाने का मूल उद्देश्य
इस फिल्म का मुख्य उद्देश्य है छत्तीसगढ़ के इतिहास को एक नए दृष्टिकोण से पेश करना और आदिवासी समुदाय की उन कहानियों को जीवंत करना, जो अब तक पर्दे के पीछे रही हैं। इसके साथ ही दर्शकों के भरपूर मनोरंजन के लिए भी यह फिल्म जानी जाएगी। फिल्म में ड्रामा, हास्य, कर्णप्रिय गीत संगीत और भावनाओं का ज्वार भाटा है, जिसमें दर्शक हर पल डूबे रहेंगे। यह फिल्म अंत तक दर्शकों को बंधे रखेगी।