नारायणपुर । जनजातीय बाहुल्य और माओवाद प्रभावित बस्तर संभाग में खेल के माध्यम से विकास और संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री विष्णु देव साय द्वारा बस्तर ओलंपिक का आयोजन किया गया। इस आयोजन को लेकर युवाओं में विशेष उत्साह देखा गया, जिसमें सुदूर गांवों से आए युवा अपने खेल कौशल का प्रदर्शन किया गया। मुख्यमंत्री ने इस पहल को जनजातीय संस्कृति और पारंपरिक खेलों के संरक्षण के साथ ही युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण प्रयास बताया है।
नारायणपुर जिले में विकासखंड स्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन 09 से 16 नवंबर तक किया गया, जिसमें नारायणपुर विकासखंड हेतु प्रतियोगिता का आयोजन 09 से 11 नवंबर तक नारायणपुर के परेड ग्राउंड और खेल परिसर में किया गया, जिसमें जिले के खिलाड़ियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। ओरछा विकासखंड स्तरीय प्रतियोगिता 14 से 16 नवंबर तक आयोजन किया गया। आज विकासखण्ड स्तरीय बस्तर ओलंपिक के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में राज्य सरकार के वन एवं जलवायु परिवर्तन, जल संसाधन, कौशल विकास, सहकारिता और संसदीय कार्य मंत्री केदार कश्यप भी शामिल हुए। मंत्री केदार कश्यप के द्वारा बस्तर ओलंपिक 2024 के विकासखंड ओरछा के विजेता खिलाड़ियों को पुरस्कार वितरण किया।
वन मंत्री ने खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि पढ़ाई के साथ-साथ जीवन में खेल भी महत्वपूर्ण होता है। इसलिए खेल में लक्ष्य निर्धारित कर अपने जीवन को आगे बढ़ाने के लिए परिश्रम करना आवश्यक है। प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मंशानुरूप गांव के प्रतिभाओं को निखारने का अच्छा समय मिला है। इस अवसर का फायदा उठाते हुए राज्य स्तर तक पहुंचने का लक्ष्य निर्धारित कर खेल के क्षेत्र में आगे बढ़े। खिलाड़ियों को हमेशा खेल भावना के साथ खेलकर अपने अनुशासन का परिचय देना चाहिए। उन्होंने खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए कहा कि अबूझमाड़ क्षेत्र के बच्चों ने मलखम्भ खेलों का हुंनरबाज बनकर देश के कई शहरों में प्रदर्शन कर अपने अबूझमाड़ का नाम रोशन किया है।
समापन के अवसर रुदाय वडडे एवं उनके साथियों तथा सुमीता कोर्राम एवं उनके साथियों के बीच रस्साकसी का आयोजन किया गया, जिसमें प्रथम स्थान रुदाय वडडे की टीम एवं द्वितीय स्थान सुमीता कोर्राम की टीम ने प्राप्त किया। विजयी खिलाड़ियों को प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्तकर्ता को पुरस्कार स्वरूप मोमेंटों, ट्राफी, प्रमाण पत्र और गणवेश भी प्रदाय किया गया।