बेल्लारी/बस्तर न्यूज
कर्नाटक के पूर्वी भाग में स्थित बेल्लारी जिला के लोग अक्सर बुनियादी चिकित्सा सुविधाओं के लिए भी संघर्ष करते रहे हैं। वहां लंबे समय से स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सीमित दायरे में रही है। बुनियादी ढांचे की कमी के चलते इलाज से ठीक होने वाली परेशानियां भी कई बार जीवन भर के लिए अभिशाप में बदल जाती थीं, लेकिन एनएमडीसी के सीएसआर प्रयासों ने बेल्लारी के स्वास्थ्य सेवा की तस्वीर बदल दी है।
वीआईएमएस का एनएमडीसी ने किया कायाकल्प
एक समय वीआईएमएस के नाम से प्रसिद्ध यह संस्थान अब बेल्लारी मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर बन चुका है, एक ऐसा सुपर स्पेशियलिटी सरकारी अस्पताल, जो अब ना केवल बेल्लारी और आसपास के इलाकों बल्कि आंध्रप्रदेश के कुछ हिस्सों के लिए भी जीवन रेखा बन गया है। वर्षों तक यह संस्थान भीड़ भाड़ वाले वार्डों और सीमित सुविधाओं का बोझ उठाता रहा, जिससे मरीजों को इलाज के लिए दूर-दराज भटकने के लिए मजबूर होना पड़ता था। लेकिन आधुनिक उपकरणों और मजबूत बुनियादी सुविधाओं से लैस होकर अब यह अस्पताल ज्यादा मरीजों का इलाज कर पा रहा है। खासकर वैसे मरीजों का, जो गंभीर बीमारियों के लिए केवल सरकारी अस्पतालों पर निर्भर हैं।
एनएमडीसी ने खर्च की साढ़े आठ करोड़ की राशि
इस वर्ष भारत की सबसे बड़ी लौह अयस्क उत्पादक कंपनी एनएमडीसी ने अपने नैगम सामाजिक उत्तरदायित्व ( सीएसआर) के तहत अस्पताल को सहयोग किया। कंपनी से प्राप्त ₹8.33 करोड़ से अस्पताल में कई ऐसी अत्यावश्यक सुविधाएं जोड़ी गईं, जो सीधे तौर पर जीवन बचाने में मदद करती हैं। जैसे ICU वेटिंलेटर, नवजात शिशुओं के लिए नियोनेटल सर्किट, बबल सीपीएपी और पीडियाट्रिक बीआईपीएपी डिवाइस, जो श्वसन संबंधी परेशानी को कम करते हैं और हाई फ्लो नेजल कैनुला मशीनें, जो समय पर ऑक्सीजन पहुंचाती हैं। एनएमडीसी की सहायता से सर्जिकल यूनिट की क्षमता में भी गुणात्मक सुधार हुआ है। एचडी लैपरोस्कोप, इआरसीपी स्कोप और लेजर पद्धति जैसी आधुनिक सुविधाएं जोड़ी गयीं, जो अब तक केवल निजी अस्पतालों में ही सुलभ हो पाती थीं। अब ऑपरेशन थियेटर में लगे नये ऑपरेटिंग टेबल और एडवांस एलईडी लाइट्स सर्जिकल प्रक्रियाओं को अधिक सटीक और सुरक्षित बना रहे हैं।
यह कार्य महज परोपकार नहीं : सीएमडी
कंपनी के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक अमिताभ मुखर्जी कहते हैं कि एक नवरत्न उद्यम होने के नाते, हम मानते हैं कि स्वस्थ समाज ही राष्ट्र निर्माण की बुनियाद है। बेल्लारी मेडिकल कॉलेज को सहायता देना हमारा उत्तरदायित्व है। यह आश्वासन है कि विकास का लाभ समाज के सबसे वंचित तबके तक पहुंचना चाहिए।
सुविधा बढ़ने से चिकित्सकों में जगा आत्मविश्वास
अस्पताल में इन सुविधाओं के जुड़ने के बाद बदलाव साफ तौर पर दिखने लगे हैं। जो डॉक्टर कभी टालने योग्य मौतों के सामने खुद को असहाय महसूस करते थे, अब नये आत्मविश्वास के साथ बोलते हैं। वीआईएमएस के निदेशक डॉ. टी. गंगाधर गौड़ा कहते हैं कि आधुनिक चिकित्सा उपकरणों के साथ, हम अधिक मरीजों की देखभाल कर सकते हैं, इससे अस्पताल अपने लक्ष्य पूरा करने के नजदीक पहुंच रहा है। हम सहायता के लिए ह्दय की गहराईयों से एनएमडीसी का आभार व्यक्त करते हैं, जिसने इसे संभव बनाया है।
वीआईएमएस के बायो मेडिसिन इंजीनियर शांतमूर्ति आगे जोड़ते हैं
उन्नत चिकित्सा उपकरणों के जुड़ने से हम अधिक मरीजों का इलाज कर पा रहे हैं और ज्यादा जटिल सर्जरी कर पाना संभव हो रहा है। इससे हमारे अस्पताल की स्वास्थ्य सेवा के प्रति प्रतिबद्धता मजबूत हुई है। हम एनएमडीसी के आभारी हैं, जो वीआईएमएस में स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बनाने में हमारे साथ खड़ा हुआ है।
परिवारों के लिए यह बदलाव बेहद निजी है
गांव की एक युवती सुनीता (बदला हुआ नाम) है, उस दिन को याद कर भावुक हो जाती है, जब समय से पहले पैदा हुई अपनी बेटी को लेकर अस्पताल भागी थी, जिसकी चलती सांसों से जीवन की आस बची थी। सुनीता कहती हैं कि हमें लगा कि शायद हम अपनी बच्ची को खो देंगे, लेकिन यहां डॉक्टरों के पास वो मशीनें थीं। जिसकी वजह से आज मेरी बेटी जिंदा है।सुनीता के शब्दों में जो भावनाएं हैं उसे आंकड़ो से व्यक्त नहीं किया जा सकता। दूसरे शब्दों में कहें, तो निराशा और जीवन के बीच का अंतर।
पिछले दो दशक में एनएमडीसी ने अपने अधीन परियोजना वाले राज्यों छत्तीसगड़ और कर्नाटक के शिक्षा, चिकित्सा, कौशल विकास और आधारभूत संरचना जैसे क्षेत्रों में 2600 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया है।