Haydrabad

एमईएआई ने आत्मनिर्भर व विकसित भारत पर राष्ट्रीय सम्मेलन का किया आयोजन

हैदराबाद/बस्तर न्यूज

माइनिंग इंजीनियर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने आत्मनिर्भर विकसित भारत 2047 विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का सफलतापूर्वक आयोजन किया। इस आयोजन से उद्योग की अग्रणी कंपनियों, नीति निर्माताओं और विशेषज्ञों को खनन क्षेत्र के भविष्य और आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत की यात्रा में इसकी भूमिका पर एक साथ विचार-विमर्श करने का अवसर मिला।

उद्घाटन सत्र में अमिताभ मुखर्जी अध्यक्ष एनएमडीसी लिमिटेड मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। अन्य विशिष्ट अतिथियों में डी. बी. सुंदर रामम, वाइस प्रेसिडेंट एमईएआई और वाइस प्रेसिडेंट, टाटा स्टील डॉ. एन. के. नंदा, पूर्व सीएमडी व निदेशक (तकनीकी), बी. वीरा रेड्डी, पूर्व निदेशक (तकनीकी), सीआईएल और पूर्व सीएमडी, सीसीएल जी धनंजय रेड्डी, वाइस प्रेसिडेंट-II, एमईएआई और एनएमडीसी लिमिटेड के निदेशक (उत्पादन) जॉयदीप दासगुप्ता उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता एनएमडीसी लिमिटेड के निदेशक और एमईएआई हैदराबाद चैप्टर के अध्यक्ष विनय कुमार ने की।

संगोष्ठी के मुख्य विषय पर भाषण देते हुए अमिताभ मुखर्जी ने कहा राष्ट्रीय विकास में खनन की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि किस प्रकार खनन उद्योग समुदायों में सामाजिक और आर्थिक प्रभाव डाल सकता है। उन्होंने खनन कार्यों के दूर-दराज के इलाकों में स्थित होने के कारण युवा प्रतिभाओं को आकर्षित करने में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की और एमईएआई से छात्रों और पेशेवरों को खनन में करियर के लिए प्रोत्साहित करने का आग्रह किया। अमिताभ मुखर्जी ने एनएमडीसी की उत्तरदायित्वपूर्ण खनन के के लिए प्रतिबद्धता और सामुदायिक पहलों के माध्यम से लोगों के चेहरों पर मुस्कान बिखेरने और सतत खनन पद्धतियों में उद्योग के मानक स्थापित करने में अग्रणी होने पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि खनन उद्योग में महत्वपूर्ण लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य रखना अनिवार्य होगा। क्योंकि विश्व स्तर पर बडे राजस्व की योजना बनाने और उत्पन्न करने में एक दशक से अधिक का समय लगता है।

विनय कुमार, निदेशक ने अपने उद्घाटन भाषण में पिछले दशक में भारत के खनन क्षेत्र में हुई प्रगति को रेखांकित करते हुए सम्मेलन की भूमिका रखी। उन्होंने खनन ब्लॉक आवंटन की वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डाला और बताया कि त्वरित प्रक्रियाएं किस प्रकार उत्पादकता को बढ़ा रही हैं। उन्होंने अन्वेषण दक्षता में सुधार के लिए एआई-संचालित डेटाबेस प्रबंधन की भूमिका को रेखांकित किया । उन्होंने स्टार्टअप और निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए सरकार की पहलों पर चर्चा की। खनन उद्योग की रोजगार क्षमता पर भी जोर देते हुए कहा कि वर्तमान में इस उद्योग में लगभग 1.3 मिलियन पेशेवर काम कर रहे हैं और यह 2047 तक 1.5 मिलियन अतिरिक्त नौकरियां उत्पन्न करने की क्षमता रखता है। उन्होंने एनएमडीसी के उत्तरदायित्वपूर्ण खनन और आत्मनिर्भर विकसित भारत 2047 विजन के एक भाग के रूप में 100 एमटीपीए उत्पादन प्राप्त करने के उद्देश्य से रणनीतिक साझेदारी के लिए इसकी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

बी. वीरा रेड्डी, पूर्व निदेशक (तकनीकी), सीआईएल और पूर्व सीएमडी, सीसीएल ने यह बताते हुए कि देश खनन के क्षेत्र में वैश्विक रूप से अग्रणी देशों से किस प्रकार पीछे है, भारत में खनिज अन्वेषण में तेजी लाने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने अन्वेषण योजना में सुधार के लिए एआई-संचालित डेटा विश्लेषण और मशीन लर्निंग का पक्ष रखा। प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए एकल-खिड़की अनुमोदन प्रणाली की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

सम्मेलन में शिक्षा और उद्योग से विशेषज्ञ प्रस्तुतियों के साथ तकनीकी सत्र भी शामिल थे, जिनमे खनन प्रौद्योगिकियों, नीतिगत ढांचे और सुस्थिरता पहल में महत्वपूर्ण प्रगति पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसके अतिरिक्त सम्मेलन में एनएमडीसी, एएन/एमएस, जेएसडब्ल्यू और एनएमडीसी स्टील सहित प्रमुख खनन और इस्पात कंपनियों की एक प्रदर्शनी भी आयोजित की गई।
एमईएआई हैदराबाद चैप्टर ने आयोजन के पहले दिन खनन क्षेत्र की महान विभूतियों बी. वीरा रेड्डी , पूर्व निदेशक (तकनीकी) कोल इंडिया लिमिटेड, कोलकाता और पूर्व सीएमडी सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड रांची, वी. लक्ष्मीनारायण, उप महानिदेशक डीजीएमएस, डॉ. एन. के. नंदा, पूर्व सीएमडी (अतिरिक्त प्रभार) और निदेशक तकनीकी, एनएमडीसी, बी. सुरेंद्र मोहन, पूर्व सीएमडी, एनएलसी इंडिया लिमिटेड, इंजी.के जे अमरनाथ, पूर्व सीजीएम, एससीसीएल और एम फसीहुद्दीन, रेजिडेंट डायरेक्टर, टाटा स्टील माइंस को उद्योग में उनकी अमूल्य सेवा के लिए सम्मानित किया।

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