जगदलपुर

वार्षिकोत्सव के दूसरे दिन हुआ महाभिषेक और श्रीनिवास कल्याणम् विधान

जगदलपुर/बस्तर न्यूज

श्री बालाजी मंदिर जगदलपुर के 24वें वार्षिक महोत्सव के तहत पहले दिन शहर में भव्य शोभायात्रा निकाली गई। दूसरे दिन संध्याकालीन सत्र में भगवान बालाजी और माता श्री देवी-भूदेवी का विवाह विधान धूमधाम से सम्पन्न हुआ। इससे पूर्व प्रातः कालीन सत्र में भगवान बालाजी, माता अंडाल और माता पद्मावती की प्रतिमाओं का अभिषेक किया गया। श्रद्धालुओं ने पंचामृत से भरे 108 रजत कलशों सहित सैकड़ों लक्ष्मी कलशों को सिर पर रख मंदिर की परिक्रमा कर वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य अभिषेक विधान संपन्न किया। इस महत्वपूर्ण विधान में सैकड़ों की संख्या में भक्तों ने भाग लिया। बुधवार सुबह सुप्रभातम्, नित्य आराधना , वेदपारायण मंगलाशासनम्, बालभोग वितरण एवं विशेष हवन के बाद हुए महा अभिषेक के पश्चात बड़ी संख्या में भक्तों ने मंदिर में प्रसाद ग्रहण किया। संध्या कालीन सत्र में श्रीनिवास कल्याण विधान के तहत भगवान बालाजी की बारात धूमधाम से निकाली गई। बारात में बैंड-बाजे, ढोल-नगाड़े और आतिशबाजी के बीच श्रद्धालु नाचते-झूमते रहे। भगवान के विवाह के इस स्वांग में प्रतापदेव वार्ड निवासी वानरासी दंतेश्वर राव दंपति ने वर पक्ष की भूमिका अदा की, जबकि दलपत सागर वार्ड निवासी कृष्ण गोपाल ठाकुर परिवार द्वारा वधू पक्ष की भूमिका निभाई गई। दोनों ही परिवारों द्वारा धूमधाम से बैंड बाजा, ढोल नगाड़ा और आतिशबाजी के साथ भगवान बालाजी सहित माता भूदेवी- श्रीदेवी की उत्सव प्रतिमाओं को अपने- अपने निवास स्थान ले जाया गया। जहां पूरे विधि विधान से रस्म अदायगी की गई। अपने निवास स्थान से पूरे उत्साह और उमंग के साथ बारात के रूप में नाचते झूमते वापस मंदिर पहुंचे। बालाजी मंदिर के समक्ष रात्रि 8:00 बजे से प्रारंभ हुआ भगवान का विवाह महोत्सव देर रात तक जारी रहा। श्री बालाजी टेंपल कमेटी की ओर से सभी भक्तों के लिए भोजन प्रसाद की व्यवस्था की गई थी। इस अवसर पर बड़ी संख्या मैं भक्तों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कर प्रसाद ग्रहण किया।

आज सुनी जाएगी भगवान सत्यनारायण की कथा

वार्षिक महोत्सव के तहत तीसरे दिन आज 09 फ़रवरी को श्री बालाजी मंदिर में भगवान सत्यनारायण की कथा सुनी जायेगी। दैवज्ञ पंडितों के सानिध्य में इस वर्ष 1 हज़ार से अधिक दंपतियों के पूजा में शामिल होने का अनुमान मंदिर कमेटी ने लगाया है। मंदिर के प्रधान अर्चक पंडित श्रीकांत आचार्य ने भगवान सत्यनारायण की कथा सुनने की वजहों का ज़िक्र करते बताया सत्यनारायण कथा सुनने से भक्तों के पुण्य प्राप्त होता है और मन को शांति मिलती है। कथा सुनने वाले भक्तों के घर में सुख-समृद्धि आती है और परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और स्नेह बढ़ता है। मन को शांति मिलती है और तनाव दूर होता है। भगवान सत्यनारायण की कृपा प्राप्त होती है और उनका आशीर्वाद मिलता है। इहीं कारणों से, भगवान सत्यनारायण की कथा सुनना एक महत्वपूर्ण और पवित्र कार्य माना जाता है। श्री बालाजी टेंपल ट्रस्ट के चेयरमैन ए. वीरराजु एवं आंध्र समाज के अध्यक्ष एम. जयंत नायडू ने बताया की भक्तों की बड़ती आस्था के चलते साल दर साल पूजा विधान में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं की संख्या निरंतर बड़ रही है जिसे देखते मंदिर ट्रस्ट द्वारा पर्याप्त तैयारियाँ कर ली गई है।

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