जगदलपुर/बस्तर न्यूज
बस्तर दशहरा पर्व के लिए महत्वपूर्ण रस्म बेल पूजा की अदायगी आज की गई। इस रस्म में बेलवृक्ष और उसमें एक साथ लगने वाले दो फलों की पूजा का विधान है. ऐसे इकलौते बेलवृक्ष को बस्तर के लोग अनोखा और दुर्लभ मानते हैं। शहर से लगे ग्राम सरगीपाल में वर्षों पुराना एक बेलवृक्ष है, जिसमें एक के अलावा दो फल भी एक साथ लगते हैं। आज बस्तर राजपरिवार के सदस्य कमलचंद भंजदेव ,बस्तर सांसद व दशहरा समिति के अध्यक्ष महेश कश्यप, कुमार जयदेव, नवीन ठाकुर सहित मांझी , चालकी एवम जिला प्रशासन, दशहरा समिति के सदस्य व ग्रामीण मौजूद थे।
बस्तर दशहरा के दौरान अनोखे बेल की पूजा
इस अनोखे बेलवृक्ष और जोड़ी बेल फल की पूजा-अर्चना परंपरा अनुसार की गई. इसी के साथ गुरुवार की दोपहर बेलन्योता विधान संपन्न हुआ। यहां के ग्रामीणों की माने तो इस वृक्ष के आगे और पीछे दो और बेलवृक्ष हैं। लेकिन इनमें केवल एक ही फल लगता है। आमतौर पर बस्तर दशहरा पर्व के प्रमुख विधानों की जानकारी ही आम लोगों तक पहुंचती रही है। बेल पूजा विधान की वास्तविकता के बारे में पता लगाने पर एक रोचक कहानी सामने आई।
गांव में उत्सव जैसा रहता है माहौल
बेल पूजा विधान रस्म के दौरान सरगीपाल में काफी उत्साह का माहौल बना रहता है. मानो एक शादी का समारोह सम्पन्न किया जा रहा हो, लोग नाचते गाते हैं। बैंड बाजा की धुन में सभी वर्ग के लोग थिरकते हैं। छोटे बच्चे से लेकर सभी वर्ग के लोग इस दौरान शामिल रहते हैं. अपने घरों से निकलकर पूजा स्थल पहुंचते हैं।
विदेशी भी बस्तर दशहरे का लेते हैं आनंद
विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरे को देखने के लिए फ्रांस से पहुंचे पर्यटक लुक ने कहा कि बस्तर में आकर उन्हें काफी अच्छा लगता है। वे इससे पहले भी बस्तर आये हैं। वो बस्तर दशहरा की सभी रस्मों को देख रहे हैं. साथ ही अपने कैमरे में भी तस्वीरों को कैद कर रहे हैं।उन्होंने बताया कि फ्रांस में भी कई त्योहार मनाए जाते हैं. लेकिन बस्तर दशहरा पर्व की तरह कुछ मनाया नहीं जाता। यही कारण है कि इस अनोखी परमपरा को देखने के लिए बस्तर आये हैं।