जगदलपुर/बस्तर न्यूज
बस्तर दशहरा में आस्था के नाम पर गांव से आने वाले आदिवासियों के लिए जिला प्रशासन एवं बस्तर दशहरा समिति द्वारा रहने, खाने की उचित व्यवस्था नहीं किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण हैं। अब लगता है कि बस्तर दशहरा आदिवासियों का नहीं रहा, यह केवल राजनीतिक लोगों के लिए आयोजित किया जा रहा है।
उक्त बातें सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर ने संभागीय कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में कहीं। उन्होंने पत्रकारों को अपने समाज की पीड़ा बताते हुए आगे कहा कि बस्तर दशहरा में हर वर्ष आदिवासी समाज बढ़ चढ़कर मां दंतेश्वरी पर अपनी आस्था और विश्वास के चलते हिस्सा लेता है। वही आदिवासी आज अपने दशहरा उत्सव में उपेक्षित महसूस कर रहा है। वहां नि:स्वार्थ भाव से रथ संचालन में भाग लेता है। किंतु जिला प्रशासन उन्हीं आदिवासियों को ट्रकों में भरकर भेड़ बकरियों की तरह लाकर जगदलपुर में इतनी बारिश में जानवरों की तरह कृषि पर मंडी में रख रहा है। जहां उनके लिए ठहरने, भोजन और शौच की उचित व्यवस्था नहीं है। हम ऐसे बस्तर दशहरा का विरोध करते हैं, साथ ही अगले वर्ष से हम आदिवासी इसमें सम्मिलित नहीं होंगे। जबकि पूर्व में ही किलेपाल से आने वाले आदिवासी, जो रथ को खींचते हैं। उन्होंने मांग रखा था कि उन्हें आने जाने के लिए बस की व्यवस्था किया जाए। किंतु जिला प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया।
ये सोच का विषय है कि डीएमए, सीएसआर तथा राज्य सरकार द्वारा बस्तर दशहरे में मिलने वाली पर्याप्त राशि का आखिर उपयोग कहां हो रहा है? वही हमारी मांग है कि जिस गांव से 46-46 ट्रकों में भरकर लकड़ी लाया जा रहा है। उसका पैसा वहां की ग्राम सभा को मिलना चाहिए। जब हर सामान का टेंडर करके भुगतान किया जाता है, तो लकड़ी का पैसा उस ग्राम पंचायत को क्यों नहीं मिलता है जिस गांव से लाया जाता हैं?
विचारणीय विषय है कि जिस प्रदेश के बस्तर जिले में हर वर्ष बस्तर दशहरा का आयोजन होता आ रहा है। उस प्रदेश का मुखिया, बस्तर संभाग से एक मात्र प्रदेश सरकार में मंत्री, यह तक बस्तर दशहरा समिति का अध्यक्ष भी आदिवासी है, फिर भी उस दशहरे में आदिवासियों की अपेक्षा हो रही है।
वही जोगी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष नवनीत चांद ने भी अपनी बात पत्रकारों के समक्ष रखते हुए कहा कि स्वदेशी मेला में करोड़ों खर्च करके डोम बनाया जा रहा है, मगर बस्तर दशहरे में रथ को खींचने वाले आदिवासियों के लिए एक उचित व्यवस्था जिला प्रशासन नहीं कर पा रहा है।