जगदलपुर/बस्तर न्यूज
मां दंतेश्वरी के दरबार में पहली बार आयोजित श्रीमद् देवी भागवत महापुराण का शनिवार को समापन हो गया। पूर्णाहुति में जहां सैकड़ो भक्तों ने आहुतियां डाल मां दंतेश्वरी से सुख – समृद्धि की कामना की, वही भरी दुपहरी में तपती सड़क पर नंगे पैर चलकर सैकड़ो भक्तों ने मां सिद्धिदात्री की पालकी निकाली। महा आरती पश्चात सैकड़ो भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया।
महाभंडारा के साथ श्रीमद् देवी भागवत महापुराण का हुआ समापन
जिला पत्रकार संघ बस्तर द्वारा मां दंतेश्वरी मंदिर की यज्ञशाला में श्रीमद् देवी भागवत महापुराण आयोजित किया गया था। नवम दिन भुवनेश्वरी देवी की कथा बांचते हुए महामाया धाम पाटन से पहुंचे आचार्य पंडित कृष्णकुमार तिवारी ने कहा कि भुवनेश्वरी देवी सकल ब्रह्मांड की अधिष्ठाता हैं। देवी का निवास मणिद्वीप कहलाता है। जो सभी देवताओं के निवास स्थल से काफी ऊपर है इसलिए भक्त आज भी देवियों को ऊंचे स्थान पर विराजित करते हैं। भुवनेश्वरी देवी के मणिद्वीप से प्रेरणा लेकर अपनी देवियों को पहाड़ों के शिखर पर विराजित करते आ रहे हैं इसलिए देवी का एक नाम पहाड़ वाली भी है। विनीता के पुत्र गरुड़ और अरुण की कथा सुनते हुए आचार्य ने बताया कि अरुण विकलांग थे और घर में कुंठित बैठे रहते थे। माता विनीता ने भगवान सूर्यदेव से उन्हें काम पर रखने का आग्रह किया। सूर्यदेव ने अरुण को अपना सारथी बना कर सम्मान दिया। सूर्योदय के पहले को अरुणोदय कहा जाता है विकलांगों को प्रश्रय देने की यह प्रेरक शिक्षा सनातन धर्म हमें सीखाते आ रही है।
कथा विराम के पश्चात हवन यज्ञ किया गया, जिसमें सैकड़ो भक्तों ने आहुतियां डाली। पूर्णाहुति के बाद तपती दुपहरी में सैकड़ो भक्तों ने नंगे पांव चलकर मां सिद्धिदात्री की नवम पालकी निकली। नंगे पांव डोली लेकर तथा जयकारा लगाते चल रहे भक्तों को देखकर आसपास के दुकानों में खड़े लोग भी अचंभित थे।
इंद्रावती में विसर्जित की गई मांईजी की प्रतिमा और अखंड ज्योत
महाआरती पश्चात यज्ञशाला परिसर में ही 500 से ज्यादा भक्तों ने बैठकर प्रसाद ग्रहण किया। शाम को इंद्रावती नदी के महादेव घाट में मां दुर्गा की प्रतिमा तथा अखंड ज्योत का विसर्जन किया गया। इसके साथ ही नव दिवसीय श्रीमद् देवी भागवत महापुराण निर्विघ्न रूप में से संपन्न हो गया।