दंतेवाड़ा। वर्तमान समय में दिव्यांग छात्र छात्राओं को आधुनिक शिक्षा प्रणाली से जोड़ने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से नये-नये तकनीक और उपकरणों का शिक्षा के क्षेत्र में समावेश किया जा रहा है। ताकि दिव्यांग बच्चों के शैक्षणिक विकास को एक नई दिशा दिया जा सके। और हम सभी जानते है कि ब्रेल लिपि के माध्यम से दृष्टिबाधित व्यक्ति पढ़ने लिखने में सामर्थ्य हासिल कर सकते हैं। गीदम विकासखंड अन्तर्गत जावंगा में स्थित आवासीय विद्यालय ’’सक्षम’’ स्कूल, यह छत्तीसगढ़ का पहला ऐसा संस्थान हैं जहां दिव्यांग बच्चों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अत्याधुनिक मशीनों के माध्यम से प्रशिक्षित शिक्षकों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाता है। यहां वर्तमान में विभिन्न दिव्यांग श्रेणी के 94 बालिकाओं, एवं 90 बालक अध्ययनरत है इनमें 16 बालिकाएं एवं 12 बालक दृष्टिबाधित श्रेणी में है। इस संस्थान में बच्चों को सर्वांगीण षिक्षा के साथ-साथ आत्मविश्वास बढ़ाने के सभी उपाय किए जा रहे हैं। यहां बच्चे अपने दैनिक कार्यों को आसानी से पूरा कर लेते हैं। ये बच्चे दूसरे बच्चों की तरह सामान्य स्कूलों में सुबह की पाली में जाते हैं। दोपहर को इनकी विशेष प्रशिक्षण की कक्षाएं होती हैं, जहां इनकी जरूरतों के अनुरूप इन्हें चीजें सिखायी जाती हैं।
इस क्रम में जिला प्रशासन द्वारा सक्षम स्कूल में दृष्टिबाधित बच्चों को एक विशेष उपकरण ’’एनी डिवाइस’’ प्रदान किया गया है। दृष्टिबाधित बच्चों के लिए एक क्रांतिकारी उपकरण यह एक स्मार्ट लर्निंग टूल है, जो ब्रेल लिपि सीखने और पढ़ने में बच्चों की मदद करता है। एनी डिवाइस खासतौर पर उन बच्चों के लिए डिजाइन किया गया है जो देखने में असमर्थ हैं। यह डिवाइस टच और ऑडियो फीचर्स के माध्यम से बच्चों को ब्रेल अक्षरों को पहचानने और लिखने में सहायता करता है।
कैसे काम करता है, एनी डिवाइस उपकरण
बच्चे अपनी उंगलियों से डिवाइस पर ब्रेल अक्षरों को छूते हैं। डिवाइस तुरंत ऑडियो में अक्षर का नाम और उसकी ध्वनि सुनाता है। इसमें इंटरएक्टिव गेम्स और क्विज भी होते हैं, जो बच्चों को सीखने में मजेदार अनुभव प्रदान करते हैं।
एनी डिवाइस से बच्चों को होने वाले फायदे
’’एनी डिवाइस“ से बच्चे ब्रेल लिपि आसानी से सीख सकते है। इसके साथ ही यह डिवाइस बच्चों को आत्मनिर्भर बनने में मदद करता है, जिससे वे अपनी पढ़ाई में दूसरों पर कम निर्भर रहते हैं। सीखने का यह नया तरीका बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ता है और उन्हें नई ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए प्रेरित करता है। जिला प्रशासन का यह प्रयास दृष्टिबाधित बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।