दंतेवाड़ा। जिले के कृषि परिदृश्य में जैविक कृषि की उपलब्धियों को राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान देने के उद्देश्य से ऑडिटोरियम जावंगा में आज ऑर्गेनिक दंतेवाड़ा कान्क्लेव का गरिमापूर्ण शुभारंभ आयुक्त एवं सचिव कृषि श्रीमती शहला निगार द्वारा किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्तर के जैविक कृषि विशेषज्ञ जैविक कृषि से जुड़े विपणन संस्थाएं, फर्म प्रतिनिधि मंडल सहित कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी, जिला पंचायत सीईओ जयंत नाहटा, एवं भूमगादी संस्था के प्रतिनिधि आकाश बढ़ावे एवं कृषि उपसंचालक सूरज पंसारी व विभाग के अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे।
अपने संबोधन में कृषि आयुक्त ने कहा कि इस कान्क्लेव के आयोजन का पूरा श्रेय जिले के कृषकों के जैविक कृषि की उपलब्धियों का जाता है। उनकी सामूहिक सहभागिता ने ही दंतेवाड़ा जिले को देश के जैविक कृषि के नक्शे पर एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है। पूर्व में हम मात्र खाद्य सुरक्षा की ही चर्चा करते थे परन्तु अब पोषण सुरक्षा का अधिक महत्व हो गया है। और जैविक कृषि मानव स्वास्थ्य पोषण सूचकांक से सीधे तौर पर जुड़ा है। जैविक कृषि में सामुदायिक सहभागिता ने ही दंतेवाड़ा जिले को महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है। कोई आर्श्चय नहीं कि दन्तेवाड़ा जिला ही प्रदेश में जैविक कृषि का प्रतिनिधित्व करेगा।
कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने दंतेवाड़ा के जैविक जिले के रूप में विकास यात्रा के रूप पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान में जो उपलब्धियां जैविक कृषि के रूप में जिले ने अर्जित की है यह सामुदायिक प्रयास का सर्वोत्तम उदाहरण है। इस से मिट्टी की सेहत और प्राकृतिक संतुलन बना रहा। पुराने खेती करने के तरीके, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलते आ रहे थे। इसके साथ ही उन्होंने जिले के पारंपरिक धान के किस्मों की संरक्षण और उनके उत्पादन पर प्रोत्साहन, सघन धान खेती प्रणाली (श्रीविधि ), जैविक कृषि को बढ़ावा देने में मोचो बाड़ी कार्यक्रम के योगदान की बात कही।
इस मौके पर अन्य राज्यों से आए जैविक कृषि विशेषज्ञों में से आए डॉ. रामू (सतत कृषि केन्द्र) ने बस्तर में जैविक खेती की ओर बड़े पैमाने पर अपनाने की दिशा में रूपरेखा सहित देश के अन्य प्रदेशों से सिक्किम एवं केरल में जैविक कृषि के संबंध में बनाई गई रणनितियों, खाद्य एवं जीविकोपार्जन की सुविधा, डॉ. वाचस्पति पाण्डेय द्वारा बड़े क्षेत्र प्रमाणन, बी.व्ही राव ने तृतीय पक्ष प्रमाणीकरण, जैकब नेलिधानम ने बाजार गहरीकरण प्रणाली, बाजार की बढ़ती मांग को पूरा करने, श्रीमती कविता कुरूगती ने जैविक उत्पाद को बाजारों के मुख्यधारा में लाने, कृषि पारिस्थितिकीय परिदृश्य दृष्टिकोंण जैसे विषयवस्तु पर कान्क्लेव में अपने विचार रखे। कान्क्लेव के आज प्रथम सत्र में अलग-अलग सेशन में विभिन्न प्रकार की परिचर्चाएं एवं संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया।