जगदलपुर। विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा लोकोत्सव के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में 7 अक्टूबर की शाम लालबाग मैदान एक यादगार मंच में तब्दील हो गया। इस भव्य सांस्कृतिक संध्या में बॉलीवुड संगीत और बस्तर की समृद्ध जनजातीय परंपरा का अनूठा संगम देखने को मिला, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। शाम का सबसे बड़ा आकर्षण बॉलीवुड के जाने-माने गायक पवनदीप और चेतना रहे। इन दोनों कलाकारों ने अपनी सुरीली और शानदार गायकी से मंच पर समां बांध दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत स्कूली और कॉलेज के छात्र-छात्राओं के मनमोहक प्रदर्शनों से हुई, जिन्होंने कला की विविध छटाएँ बिखेरीं। स्वामी विवेकानंद स्कूल के छात्रों ने सरस्वती मंगलाचारण से माहौल को भक्तिमय बनाया, जबकि बिहू (आसामी), समूह नृत्य (ओड़िआ) और वायनाड केरल ट्रायबल डांस जैसी रंगारंग प्रस्तुतियाँ विशेष आकर्षण का केंद्र रहीं। लोकोत्सव के मंच पर लामकेर, बस्तर के कल्लूराम और साथियों ने मिलकर मनोरम गेड़ी नृत्य प्रस्तुत किया, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। पूरा लालबाग मैदान उस समय तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा, जब कलाकारों ने गेड़ी (बाँस के डंडों) पर संतुलन बनाते हुए, तेज ताल और लय के साथ समूह में नृत्य की भावपूर्ण प्रस्तुति दी। दरभा विकासखंड के छिंदावाड़ा से आए महादेव और उनके साथियों ने अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए धुरवा नाच प्रस्तुत किया। महादेव और उनके समूह ने पारंपरिक परिधानों में सजे-धजे, ढोल-मांदर की थाप पर जिस लय और ताल के साथ यह नृत्य प्रस्तुत किया। वहीं कलचा के हायर सेकेंडरी स्कूल के विद्यार्थियों ने अपने शानदार प्रदर्शन से समां बांध दिया। इन युवा कलाकारों ने बस्तर की आदिवासी संस्कृति के गौरव को दर्शाते हुए गौर नृत्य प्रस्तुत किया।
संगीत और प्रेरणा से भरी सक्षम कलेक्टिव बैंड ने अपने दिव्यांग बच्चों के साथ जीवंत प्रदर्शन कर हजारों दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। बच्चों से मिलकर बने इस बैंड ने अपनी प्रस्तुति से यह दृढ़ता से साबित कर दिया कि प्रतिभा और हौसला किसी भी शारीरिक सीमा के मोहताज नहीं होते हैं। यह सक्षम स्कूल के होनहार दिव्यांग बच्चों का समूह है, जिसे दंतेवाड़ा जिला प्रशासन और गिटारवाला संस्था द्वारा आयोजित विशेष म्यूजिक वर्कशॉप्स के माध्यम से तराशा गया है। इन बच्चों ने पहले अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए सक्षम एक म्यूजिक एल्बम तैयार किया, जो अब यूट्यूब पर उपलब्ध है। उनका यह जीवंत प्रदर्शन उनके अदम्य आत्म-विश्वास और कड़ी मेहनत का स्पष्ट प्रमाण था। बैंड के सदस्यों ने जिस तालमेल और ऊर्जा के साथ गिटार, कीबोर्ड और गायन प्रस्तुत किया, उसने दर्शकों को खड़े होकर तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया।
बस्तर दशहरा लोकोत्सव में नृत्यांगना विधि सेनगुप्ता ने अपने प्रभावी ओड़िसी नृत्य का प्रदर्शन कर दर्शकों का मन मोह लिया। उनके सधे हुए पद संचालन, भावपूर्ण मुद्राओं और ओड़िसी की पारंपरिक गरिमा ने माहौल को सांस्कृतिक और भक्तिमय बना दिया।