जगदलपुर

उत्कल ब्राह्मण समाज द्वारा उत्कल नववर्ष धूमधाम के साथ मनाया गया

जगदलपुर/बस्तर न्यूज

उत्कल ब्राह्मण समाज जगदलपुर द्वारा आज उत्कल नववर्ष धूमधाम के साथ मनाया गया। इस अवसर पर शहर के पंच पथ चौक में आमजनों को शर्बत का वितरण किया गया। समाज के पदाधिकारियों सहित महापौर संजय पाण्डे, निगम सभापति खेमसिंह देवांगन ने भी लोगों को शर्बत पिलाया गया। इस मौके पर उत्कल समाज के पदाधिकारी अध्यक्ष राजेश दास, अनिल सामंत, मथुरा तिवारी, सागर नन्द, विजय बेबर्ता, सुमित महापात्र, मनोज महापात्र, योगेश पट्ट जोशी, मनोज दास, बद्री विशाल दास, प्रणव तिवारी, आशीष श्रीवास्तव, सोमेश मिश्रा, निखिल दास, असीम दास, मनीष मिश्रा, आनंद मिश्रा, ज्योति दास, शुभ्रा दास, सपना रथ, रजनी दास, गीता दास, उर्मिला आचार्य, मंजूषा दास, सुष्मिता दास, निरंजन दास सहित समाज के लोग उपस्थित रहे।

उत्कल दिवस कब मनाया जाता है

उत्कल दिवस जिसे ओडिशा डे के नाम से भी जाना जाता है। इसे अप्रैल माह में मनाया जाता है l इस वर्ष ओडिशा अपना 91वां स्थापना दिवस माना रहा है।

उत्कल दिवस क्यों मनाया जाता है

उत्कल दिवस ओडिशा राज्य की एक अलग राजनीतिक पहचान हासिल करने के दिवस के रूप में मनाया जाता है। निवासियों के बीच एकता की भावना को प्रोत्साहन देना उत्कल दिवस मनाने का एक बड़ा कारण है। इसके साथ ही ओडिशा राज्य के संघर्ष की याद को बरकरार रखने में अहम योगदान देता है।

ओडिशा (उत्कल दिवस) का इतिहास

ओडिशा राज्य 1 अप्रैल 1936 को एक स्वतंत्र प्रांत के रूप में अस्तित्व में आया। आजादी से पहले ब्रिटिश शासन के अंतर्गत ओडिशा बंगाल प्रेसीडेंसी का एक हिस्सा था। तीन सदियों के लंबे संघर्ष के बाद 1 अप्रैल 1936 को राज्य बंगाल और बिहार प्रांत से अलग हो गया था। 1 अप्रैल को ओडिशा अपना स्थापना दिवस मनाता है क्योंकि इस दिन मद्रास प्रेसीडेंसी के कुछ हिस्सों को अलग-अलग राज्यों में विभाजित कर दिया गया था। आज़ादी के बाद ओडिशा और आसपास की रियासतों ने नई नवेली भारत सरकार को अपनी सत्ता सौंप दी थी। ओडिशा राज्य की एक अलग ब्रिटिश भारत प्रांत के रूप में स्थापना की गई थी। इसको याद करते हुए और साथ ही सभी नागरिकों में एकता की भावना को बढ़ावा देने के लिए उत्कल दिवस का आयोजन किया जाता है।

प्राचीनकाल में ओडिशा कलिंग साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था। अशोक द्वारा इसे 250 ईसा पूर्व में जीत लिया गया था। तबसे लगभग एक सदी तक यहाँ मौर्य वंश का शासन रहा। ओडिशा की संस्कृति और इतिहास बहुत समृद्ध है। महाभारत में इसका कई बार उल्लेख भी मिलता है। प्राचीन इतिहास में इसका अलग- अलग नामों जैसे कलिंग, उत्कल, उद्र, तोशाली और कोसल से उल्लेख मिलता है।

नवनिर्वाचित पदाधिकारियों को दी बधाई

महापौर संजय पाण्डे व निगम सभापति खेमसिंह देवांगन ने सभी नवनिर्वाचित पदाधिकारियों को जीत की बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित की। समाज के नवनिर्वाचित अध्यक्ष राजेश दास, उपाध्यक्ष मनोज दास पट्ट जोशी, मथुरा प्रसाद तिवारी, सचिव सुमित महापात्र, कोषाध्यक्ष मनोज महापात्र, सांस्कृतिक सचिव मनीष श्रीवास्तव, संगठन सचिव रमेश नंद, कार्यालय सचिव अच्युत सामंत सहित समाज के कार्यकर्तागण उपस्थित थे।

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