जगदलपुर

जंगल का संरक्षक पैंगोलिन की तस्करी मामले में चार आरोपी गिरफ्तार

जगदलपुर/बस्तर न्यूज

पैंगोलिन एक शल्कदार स्तनधारी है, जो पर्यावरण के लिए कई तरह से फायदेमंद है। पैंगोलिन कीड़े खाते हैं, जिससे चींटियों और दीमक की संख्या पर नियंत्रण रहता है। पैंगोलिन की खुदाई से मिट्टी में हवा लगती है और वह पलट जाती है। पैंगोलिन के बिल छोड़ने से दूसरे जानवरों को आश्रय मिलता है। पैंगोलिन को जंगल का संरक्षक कहा जाता है, क्योंकि वे दीमक से जंगलों को बचाते हैं और परिस्थिति की तंत्र को संतुलित रखते हैं। खतरे में होने पर पैंगोलिन तुरंत गेंद की तरह सिकुड़ जाता है और अपनी पूंछ से खुद को बचाता है। हालांकि पैंगोलिन को बचाने के लिए कई चुनौतियां हैं। कई एशियाई संस्कृतियों में पैंगोलिन के शल्क को औषधीय और जादुई गुणों वाला माना जाता है, इसकी वजह से काले बाजार में इनकी भारी मांग है।

उक्त जानकारी वन विभाग जगदलपुर वृत्त के मुख्य वन संरक्षक आरसी दुग्गा ने पत्रवार्ता में कही। उन्होंने आगे कहा कि बस्तर जिले के करपावण्ड कोलावल मार्ग पर घेराबंदी कर 2 मोटर सायकल में एक जूट की थैले में एक जीवित पैंगोलिन सहित चार आरोपियों को पकड़ा। चारों तस्कर रंजीत मलिक, मकर भतरा, अजय निहाल एवं लबा सुना को कोर्ट में पेश किया, जहां से 10 दिन के रिमांड में जेल भेजा गया। आरोपियों से पूछताछ की जा रही है कि कहां पैंगोलिन पकड़ा था। वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के धारा 51 में 3 वर्ष से 7 वर्ष की सजा या 25000 रुपए दण्ड या दोनों का प्रावधान है।

पत्रवार्ता में डीएफओ उत्तम कुमार गुप्ता, एसडीओ योगेश रात्रे, रेंजर देवेन्द्र सिंह वर्मा आदि शामिल रहे।

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