जगदलपुर

बीमारियों से बचाव के लिए सावधानी-नियंत्रण जरुरी है : सांसद

जगदलपुर । विश्व सिकल सेल दिवस पर आज श्यामा प्रसाद सभागार में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बस्तर सांसद महेश कश्यप ने कहा कि सिकलसेल बीमारी को आमजन सिकलिन के नाम से जानते है। हर बीमारी से बचाव के लिए सावधानी-नियंत्रण जरुरी है, आधुनिक युग में विज्ञान ने बहुत तरक्की की है, वैज्ञानिकों ने सभी बीमारियों की दवाई इजात कर ली है।

सिकलसेल जैसे बीमारियों से लोगों को जागरूक करें : कलेक्टर

कलेक्टर विजय दयाराम के. ने कहा कि जिले में टीबी मुक्त, मोतियाबिंद मुक्त, मलेरिया मुक्त, डेंगू मुक्त अभियान चलाकर कर आम जनों को बीमारियों के प्रति जागरूकता फैलाने का प्रयास किया जाता रहा है इसका लाभ जिलेवसियों को हुआ है। इसी प्रकार सिकलसेल के प्रति लोंगो को जागरूक किया जा सकता है।सिकलसेल आनुवंशिक बीमारी है जागरूकता की कमी के कारण बीमारी को बढ़ावा मिला है। बीमारी के बचाव हेतु शादी के पूर्व खून की जांच ज़रूर करवाएं।

कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती वेदवती कश्यप, उपाध्यक्ष मनीराम, महापौर श्रीमती साफिरा साहू, जिला पंचायत सीईओ प्रकाश सर्वे, नगर निगम आयुक्त हरेश मंडावी, सीएमएचओ डॉ चतुर्वेदी, सिविल सर्जन डॉ प्रसाद, सहायक आयुक्त श्रीशोरी, डीईओ भारती प्रधान सहित स्वास्थ्य विभाग आदिवासी विकास विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।

कार्यक्रम में अतिथियों ने हितग्राहियों को सिकलसेल कार्ड का वितरण किए। इसके अलावा परिसर में स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्वास्थ्य जाँच के लिए स्टॉल लगाया गया था। जिसमें अतिथियों ने अपना स्वास्थ्य जाँच करवाया। साथ ही सिकलसेल जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किए।

ज्ञात हो हर साल 19 जून को विश्व सिकल सेल दिवस के रूप में अंतरराष्ट्रीय जागरूकता दिवस मनाया जाता है। ताकि वैश्विक जनता को सिकल सेल रोग के बारे में सचेत किया जा सके। भारत में सिकल सेल रोग का बोझ दुनिया में दूसरे नंबर पर है।

सिकलसेल रोग के बारे में जानने योग्य बातें एवं सिकलसेल के लक्षण

हीमोग्लोबिन हमारे शरीर में सभी कोशिकाओं तक पर्याप्त ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है, लेकिन सिकल सेल रोग में यह काम बाधित हो जाता है। पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाले इस रोग में गोलाकार लाल रक्त कण (हीमोग्लोबीन) हंसिये के रूप में परिवर्तित होकर नुकीले और कड़े हो जाते हैं। ये रक्त कण शरीर की छोटी रक्त वाहिनी (शिराओं) में फंसकर लिवर, तिल्ली, किडनी, मस्तिष्क आदि अंगों के रक्त प्रवाह को बाधित कर देते हैं। सिकलसेल रोग के मुख्य लक्षण भूख नहीं लगना, थकावट, तिल्ली में सूजन, हाथ-पैरों में सूजन, खून की कमी से उत्पन्न एनीमिया, त्वचा एवं आंखों में पीलापन (पीलिया), चिड़चिड़ापन और व्यवहार में बदलाव, सांस लेने में तकलीफ, हल्का एवं दीर्घकालीन बुखार रहना, बार-बार पेशाब आना व मूत्र में गाढ़ापन, वजन और ऊंचाई सामान्य से कम और हड्डियों एवं पसलियों में दर्द होना है।

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