हैदराबाद/बस्तर न्यूज
भारत के सबसे बड़े लौह अयस्क उत्पादक एनएमडीसी ने खनिज प्रसंस्करण और टिकाऊ इस्पात प्रौद्योगिकी में नवाचार को आगे बढ़ाने के लिए हैदराबाद के पाटनचेरू में अपने नए अत्याधुनिक अनुसंधान और विकास केंद्र का उद्घाटन किया। नवरत्न कंपनी ने पिछले 5 वर्षों में अनुसंधान और विकास में 150 करोड़ रुपये से अधिक का रणनीतिक निवेश किया है और अनुसंधान एवं विकास केंद्र के नए भवन के निर्माण में 50 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
पाटनचेरू में आठ एकड़ में फैले इस अत्याधुनिक केंद्र का उद्घाटन एनएमडीसी के सीएमडी (अतिरिक्त प्रभार) अमिताभ मुखर्जी ने किया।
इस अवसर पर दिलीप कुमार मोहंती निदेशक (उत्पादन), विनय कुमार निदेशक (तकनीकी), बी. विश्वनाथ, मुख्य सतर्कता अधिकारी और एनएमडीसी के और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
वर्ष 1970 से खनिज प्रसंस्करण के क्षेत्र में योगदान दे रहे एनएमडीसी अनुसंधान एवं विकास को यूनिडो और डीएसआईआर दोनों ने घरेलू और वैश्विक उद्योग को इसके ज्ञान और प्रौद्योगिकी अंतरण के लिए उत्कृष्टता केन्द्र के रूप में मान्यता दी है। अनुसंधान एवं विकास केंद्र में विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा संचालित अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं हैं, जो सुस्थिर खनिज प्रौद्योगिकी और अयस्क बेनीफिशिएशन में नवाचार को बढ़ावा देती हैं।
नवनिर्मित एनएमडीसी अनुसंधान एवं विकास केंद्र में परिष्कृत उपकरणों की एक श्रृंखला है, जिसमें एक स्वचालित मिनरल एनालाइजर और स्वचालित फ्यूजन बीड आधारित एक्स-रे फ्लोरेसेंस एनालाइजर शामिल हैं, जो विभिन्न खनिजों के सटीक और कुशल लक्षण वर्णन को सुनिश्चित करते हैं। केंद्र में पेलेटाइजेशन अध्ययन के लिए एक समर्पित सुविधा है, जो वाणिज्यिक पेलेट संयंत्रों की स्थापना के लिए महत्वपूर्ण आंकडे उत्पन्न करेगी। इससे न केवल एनएमडीसी की आंतरिक आवश्यकताओं और क्षमताओं में वृद्धि होगी, बल्कि खनिज प्रसंस्करण और पेलेट उत्पादन में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करके इस सेक्टर को भी लाभ होगा।
नई अनुसंधान एवं विकास सुविधा का उद्घाटन करते हुए सीएमडी अमिताभ मुखर्जी ने कहा अनुसंधान और विकास के माध्यम से एक सुस्थिर भविष्य की दिशा में भारतीय खनन उद्योग को नवाचार और नेतृत्व करने की हमारी जिम्मेदारी को अपनाते हुए, हमने एनएमडीसी के नए अत्याधुनिक अनुसंधान एवं विकास केंद्र के दरवाजे खोल दिए हैं। नवाचार और प्रेरणा के लिए आगे बढते हुए हम यहां केवल अनुसंधान में निवेश नहीं कर रहे हैं बल्कि हम भारत के भविष्य के लिए निवेश कर रहे हैं।
यह सुविधा भारत के सबसे बड़े लौह अयस्क उत्पादक के डिजिटल परिवर्तन को आगे बढाने की दिशा में एक निर्णायक कदम है और मूल रूप से टिकाऊ एक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करके जिम्मेदार खनन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को और मजबूत करेगी।
नए अनुसंधान एवं विकास केंद्र के अनूठे पहलुओं में से एक हाइड्रोजन रिडक्शन सुविधा है, जो माइक्रोवेव-असिस्टेड हीटिंग फर्नेस के साथ एकीकृत है। यह अभिनव स्थापना ग्रीन स्टील बनाने वाली प्रौद्योगिकियों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जो कार्बन उत्सर्जन को कम करने और इस्पात उद्योग में सुस्थिर प्रथाओं को बढ़ावा देने के वैश्विक प्रयासों के साथ संरेखित होगा।
नवीनतम प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे से लैस, इस केंद्र को खनिज लक्षण वर्णन, मौलिक विश्लेषण, बल्क मैटीरियल हैंडलिंग और भंडारण, खनिज प्रसंस्करण, कोयला और कोक लक्षण वर्णन में विशेषज्ञता प्राप्त है।
नवाचार के क्षेत्र में अग्रणी अनुसंधान केंद्र उद्योग का तंत्रिका केंद्र बनने के लिए अग्रणी शैक्षणिक संस्थानों और उद्योग विशेषज्ञों के साथ सहयोग के लिए एक केंद्र के रूप में काम करेगा। एनएमडीसी अनुसंधान एवं विकास केंद्र उद्योग के कॉर्पोरेट और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों में सहयोग करने के लिए तैयार है ताकि खनिज प्राप्ति को अधिकतम करने और भारत के लिए खनिज सुरक्षा सुनिश्चित करने में परिवर्तनकारी कार्य किया जा सके।