जगदलपुर/बस्तर न्यूज
वट सावित्री व्रत आज गुरुवार को संपन्न हुआ। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुख समृद्धि के लिए व्रत रखा गया। वट सावित्री व्रत रखने से परिवार के लोगों को सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है । और वैवाहिक जीवन में खुशियां आती है। सनातन धर्म में प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह की अमावस्या को वट सावित्री व्रत रखा जाता है।
वट वृक्ष की पूजा का बहुत महत्व है बरगद के वृक्ष के तने में भगवान विष्णु, जड़ों में ब्रह्मा और शाखाओं में भगवान शिव का वास है। इस वृक्ष में कई सारी शाखाएं नीचे की ओर रहती है, जिन्हे देवी सावित्री का रूप माना जाता है।
मान्यता है कि इस वृक्ष की पूजा करने से भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है और मनोकामनाएं पूरी होती है।संतान प्राप्ति के लिए इस वृक्ष की पूजा करना लाभकारी माना जाता है। मान्यता है कि ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि के दिन वट वृक्ष की छांव मे देवी सावित्री ने अपने पति को पुनर्जीवित किया था । इस दिन से ही वट वृक्ष की पूजा की जाने लगी। हिंदू धर्म में जिस तरह से पीपल के वृक्ष को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है । उसी तरह बरगद के पेड़ को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि तीर्थंकर ऋषभदेव ने अक्षय वट के नीचे तपस्या की थी। इस स्थान को प्रयाग में ऋषभदेव तपस्थली नाम से भी जाना जाता है।
वट सावित्री व्रत के दिन महिलाएं अपनी सुविधा अनुसार अपने घरों में तथा सार्वजनिक जगह पर स्थित बरगद के पेड़ (वट वृक्ष) की पूजा अर्चना कर अपने पति एवं परिवार के दीर्घायु तथा सुख समृद्धि की कामना करती है ।