जगदलपुर

दरिद्रता से बड़ा कोई दुख नहीं, जहां मंत्र पाठ नहीं वहां दुर्दिन निश्चित : आचार्य

जगदलपुर/बस्तर न्यूज

मां दंतेश्वरी मंदिर में चल रहे श्रीमद् देवी भागवत महापुराण के पांचवें दिन मां शाकंभरी कथा के साथ सूर्यवंशी राजाओं और सुकन्या कथा का वाचन करते आचार्य पंडित कृष्ण कुमार तिवारी ने कहा कि देवी की कृपा से अन्न धन ज्यादा है, तो दान धर्म करना सीखिए अन्यथा अगले जन्म में भिखारी बनकर द्वार- द्वार अन्न मांगना पड़ेगा। भोजन के लिए आग्रह कीजिए, दूराग्रह नहीं, ऐसा करने से अन्न का नाश होता है। दरिद्रता से बड़ा कोई दुख नहीं है। सब कुछ है फिर भी लालसा के पीछे भागते हैं, वही व्यक्ति दरिद्र है। जीवन भर धन के पीछे दौड़े, मृत्यु आई तो निधन हो गए।
श्रीमद् देवी भागवत महापुराण के पांचवें दिन मां शाकंभरी की प्रेरक कथा का वर्णन आया। दुर्गम नामक राक्षस सभी साधु- संतों से वेद- मंत्र आदि छीन लिया था इसलिए देवी- देवताओं का आव्हान और भोग बंद हो गया। बारिश भी बंद हो गई। लोग मरने लगे। साधु- संतों ने अपने स्तर पर देवी का आव्हान किया। सैकड़ो वर्षों बाद जब देवी प्रकट हुई तो देखा कि धरती में सिर्फ कंकाल है और कुछ नहीं। यह देख देवी अत्यधिक व्याकुल हुई और उसके शरीर में हजारों आंख उभर आई । इन आंखों से लगातार 9 दिनों तक अश्रुधारा बहने लगी। जिससे धरती में जहां-जहां माता के आंसू पड़े। वहां- वहां साग सब्जी उपजने लगे। इसके बाद मां शाकंभरी ने दुर्गम का वध कर वेद मंत्रों की रक्षा की। यही देवी शताक्षी के नाम से भी विख्यात है।

उल्लेखनीय है कि बस्तर का एकमात्र शाकंभरी माता मंदिर जगदलपुर में इंद्रावती नदी किनारे खड़कघाट में स्थित है।
सात्विक आहार को साक्षात देवी स्वरूप बताते हुए आचार्य ने कहा कि भोजन करने के पहले मां अन्नपूर्णा और माता शाकंभरी का स्मरण जरूर करना चाहिए। जहां मंत्र- पाठ नहीं होता, वहां लोगों के दुर्दिन शुरू हो काटे हैं। अन्न का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।

स्कंधमाता की निकाली पालकी
श्रीमद् देवी भागवत महापुराण के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पालकी नगर में निकाली गई। आज की पालकी निकालने का सौभाग्य आंध्र समाज को प्राप्त हुआ। पांचवें दिन की कथा उपरांत मांईजी की पालकी सिरहासार चौक, गोल बाजार, मिताली चौक, पैलेस रोड होते हुए दंतेश्वरी मंदिर पहुंची। यहां महाआरती पश्चात प्रसाद वितरित किया गया।

आज के अनुष्ठान
श्रीमद् देवी भागवत महापुराण के तहत बुधवार 20 मार्च को श्री राधारानी, मां गंगाजी की उत्पत्ति की कथा आएगी। इसके साथ ही छठवीं पालकी नगर भ्रमण करेगी। पालकी में मां कात्यायनी विराजित रहेंगी।

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