जगदलपुर । कलेक्टर विजय दयाराम के.कहा कि न्योता भोजन की अवधारणा एक सामुदायिक भागीदारी पर आधारित है। मुख्यमंत्री की पहल पर समाज, वरिष्ठ नागरिक या सामान्य जनों के द्वारा स्कूली बच्चों के साथ भोजन करने की कार्यक्रम है। यह विभिन्न त्यौहारों या अवसरों जैसे वर्षगांठ, जन्मदिन, विवाह और राष्ट्रीय पर्व आदि पर बड़ी संख्या में लोगों को भोजन प्रदान करने की भारतीय परम्परा पर आधारित है। समुदाय के सदस्य ऐसे अवसरों, त्यौहारों पर अतिरिक्त खाद्य पदार्थ या पूर्ण भोजन के रूप में बच्चों को पौष्टिक और स्वादिष्ट भोजन प्रदान कर सकते है। यह पूरी तरह स्वैच्छिक है और समुदाय के लोग अथवा कोई भी सामाजिक संगठन या तो पूर्ण भोजन का योगदान कर सकते हैं या अतिरिक्त पूरक पोषण के रूप में खाद्य सामग्री का योगदान कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि पौष्टिक आहार हर व्यक्ति को नसीब नहीं होता है इसलिए अन्न का महत्व को समझते हुए अनाज को व्यर्थ नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा इस प्रकार का आयोजन समाजों और वरिष्ठ नागरिकों के सहभागिता से प्रत्येक सप्ताह करने का प्रयास किया जाएगा।
कलेक्टर एवं जिला पंचायत सीईओ ने स्कूली बच्चों को भोजन परोस कर कर उपस्थित समाज के सदस्यों और पत्रकारों के साथ न्योता भोजन किया। शहर के टाउन हॉल में आयोजित न्योता भोजन में प्रशासन के साथ-साथ मैत्री संघ और बौद्ध समाज के पदाधिकारियों द्वारा सहयोग से आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में समाजों के प्रतिनिधियों ने भी अपना वक्तव्य दिया। इस अवसर पर जिला शिक्षा अधिकारी सुश्री भारती प्रधान, बीईओ एम. भारद्वाज सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ के स्कूलों में प्रधानमंत्री पोषण शक्ति योजना के अंतर्गत विद्यार्थियों को दिए जाने वाले गर्म भोजन को सामुदायिक भागीदारी की बदौलत और अधिक पोषक बनाने की अभिनव पहल की गई है। शाला अवधि में विद्यार्थियों को भोजन प्रदाय करने के लिए संचालित प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना गाईडलाईन में सामुदायिक आधार पर तिथि भोजन के प्रावधान के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य में इसे ‘न्योता भोजन’ के नाम से लागू करने का निर्णय लिया गया है। न्योता भोजन का उद्देश्य समुदाय के बीच अपनेपन की भावना का विकास, भोजन के पोषक मूल्य में वृद्धि तथा सभी समुदाय वर्ग के बच्चों में समानता की भावना विकसित करना है। न्योता भोजन की अवधारणा सामुदायिक भागीदारी पर आधारित है। यह पूरी तरह से स्वैच्छिक है और समुदाय के लोग अथवा कोई भी सामाजिक संगठन, स्कूलों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को पूर्ण भोजन का योगदान कर सकते है।