जगदलपुर

आंध्र समाज के लोगों ने लामनी पार्क में किया ग्रहण वन भोज

जगदलपुर/बस्तर न्यूज

आंध्र समाज द्वारा लामनी पार्क में कार्तिक मास वन भोजनम् कार्यक्रम धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम में हजारों की संख्या में आंध्र समाज के सदस्यों ने अपनी भागीदारी निभाई। तेलुगु समाज के लोगों ने आँवले के पेड़ की पूजा कर अपने संतान एवं परिवार की सुख समृद्धि की कामना ईश्वर से की।

वन विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष मद्दी श्रीनिवास राव विशेष रूप से उपस्थित थे। उन्होंने आंध्र समाज के अध्यक्ष जयंत नायडू एवं पदाधिकारियों के साथ मिलकर लामनी पार्क में आँवले का पौधा भी रोपा। आंध्र समाज की ओर से सचिव सुब्बाराव ने कार्यक्रम में उपस्थितजनों का आभार जताया। पूजा विधान पंडित शंकर राव के सानिध्य में संपन्न हुआ।

इस अवसर पर यशवर्धन राव, एस नागभूषण, सेनापति राजू,  श्रीनिवास राव, कामेश राव, बसंत राव, राजेश राव, रविभूषण राव, बी जयराम आदि उपस्थित रहे।

पारिवार की सुख- समृद्धि के लिए करते है पूजा

वन भोजनम् कार्यक्रम कार्तिक माह में मनाया जाता है, दांपत्य जोड़े में यह विशेष पूजा अपने संतान एवं पारिवार के सुख- समृद्धि के उद्देश्य से की जाती है। इस दिन आँवले के पेड़ की पूजा होती है, और जहाँ आँवले का पेड़ होता है वहीं भोजन भी किया जाता है। तेलुगू समाज द्वारा प्रतिवर्ष धूमधाम से यह पूजा विधान संपन्न किया जाता है। इसी क्रम में जगदलपुर में आंध्र समाज द्वारा लामनी पार्क स्थित आँवले के पेड़ की पूजा की गई। आँवले के पेड़ की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा कर शास्त्रानुशार आँवला-पूजन के दिन वन में ही भोजन भी किया जाता है।

यह है वन भोजनम की पौराणिक मान्यता

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार माता लक्ष्मी पृथ्वीं का भ्रमण कर रही थीं और वह एक साथ भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करना चाहती थीं। तब उन्हें ध्यान आया कि तुलसी और बेल दोनों के गुण आंवले में पाए जाते हैं जबकि तुलसी भगवान विष्णु को और बेल भगवान शिव को अतिप्रिय है। इसके बाद माता लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष को भगवान विष्णु और भगवान शिव का प्रतीक मानकर आवंले के वृक्ष की पूजा की गई थी। माना जाता है कि माता लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष के नीचे ही बैठकर भोजन बनाकर भगवान शिव और भगवान विष्णु को भोजन भी कराया था और स्वयं भी आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन किया था।

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