जगदलपुर/बस्तर न्यूज
बैसाखी पर्व के अवसर पर श्री गुरु सिंह सभा द्वारा स्थानीय गुरुद्वारा में बैसाखी के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में पंजाब से आये रागी जत्था ने गुरु नानक देव जी और गुरु गोविंद सिंह जी के जीवनी को भजन कीर्तन करते हुए संगत को सुनाया । तत्पश्चात अरदास कर गुरु का प्रसाद संगत को बांटा गया । साथ ही सभी ने गुरु का लंगर को ग्रहण किया।
इस अवसर पर श्री गुरु सिंह सभा ने विधायक एवं संसदीय सचिव रेखचंद जैन व ईविप्रा के उपाध्यक्ष को सरोपा भेंट कर सम्मानित किया। संसदीय सचिव ने सिख समाज को बैसाखी पर्व की बधाई देते हुए कहा कि आज का दिन बहुत ही शुभ दिन है आज ही के दिन खालसा पंथ की स्थापना की गई थी । आज सिख नववर्ष भी है, साथ ही फसल कटाई का पर्व भी है। हमारे गुरुओं ने जो संदेश हमें दिया है उन्हें अपने जीवन में अपनाने की जरूरत है ताकि हम सभी अपने जीवन को सफल बना सकें उन्होंने सिख धर्म के सेवा भावना की तारीफ करते हुए कहा की आज मानव समाज को इससे सीख लेने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मलकीत सिंह गैदू, निगम पार्षद राजेश राय, विधि विभाग के जिलाध्यक्ष अवधेश झा, श्री गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष सरदार स्वर्ण सिंह सचिव बलविंदर सिंह, उपाध्यक्ष कुलदीप सिंह, कोषाध्यक्ष सन्नी सिंह, सह सचिव राजा सोढ़ी समेत बड़ी संख्या में समाज के लोग उपस्थित थे।
बैसाखी का इतिहास
वैसाखी गुरू अमर दास द्वारा चुने गए तीन हिंदू त्योहारों में से एक है, जिन्हें सिख समुदाय द्वारा मनाया जाता है। वैसाखी त्योहार, सिख आदेश के जन्म का स्मरण है, जो नौवे गुरु तेग बहादुर के बाद शुरू हुआ और जब उन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता के लिए खड़े होकर इस्लाम में धर्म परिवर्तन के लिए इनकार कर दिया था । तब बाद में मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश के तहत उनका शिरच्छेद कर दिया गया। गुरु की शहीदी ने सिख धर्म के दसवें और अंतिम गुरु के राज्याभिषेक और खालसा के संत-सिपाही समूह का गठन किया, इस दिन से वैसाखी शुरू हुए थे। प्रकृति का नियम है कि जब भी किसी का जुल्म, अन्याय, अत्याचार की पराकाष्ठा होती है, तो उसे हल करने कोई ना कोई आता है । जब मुगल शासक औरंगजेब द्वारा जुल्म, अन्याय व अत्याचार की हर सीमा को लाँघ। गुरु तेग बहादुर को दिल्ली में शहीद कर दिया गया। तब गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने अनुयायियों को संगठित कर खालसा पंथ की स्थापना की जिसका लक्ष्य था धर्म व नेकी (भलाई) के आदर्श के लिए सदैव तत्पर रहना।
सिख समाज का नव वर्ष
वैसाखी परंपरागत रूप से सिख समाज का नव वर्ष है। खालसा सम्बत के अनुसार, खालसा कैलेंडर का निर्माण खलसा -1 वैसाख 1756 विक्रमी (30 मार्च 16 99) के दिन से शुरू होता है। यह पूरे पंजाब क्षेत्र में मनाया जाता है।
फसल कटाई का त्योहार
वैसाखी पंजाब के लोगों के लिए फसल कटाई का त्योहार है। पंजाब में वैसाखी रबी फसल के पकने का प्रतीक है। इस दिन किसानों द्वारा एक धन्यवाद दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसमें किसान प्रचुर मात्रा में उपजी फसल के लिए ईश्वर का धन्यवाद करता हैं। और भविष्य की समृद्धि के लिए भी प्रार्थना करते हैं। सिखों और पंजाबी हिंदुओं द्वारा फसल त्योहार मनाया जाता है। 20 वीं शताब्दी के शुरुवात में वैसाखी सिखों और हिंदुओं के लिए एक पवित्र दिन था और पंजाब के सभी मुस्लिमों और गैर मुस्लिमों, ईसज़इयों सहित सभी का एक धर्मनिरपेक्ष त्योहार था।