दंतेवाड़ा । पशु उत्पाद भी कभी आजीविका का जरिया बन सकता है ये शायद ही किसी ने सोचा होगा लेकिन ये सच कर दिखाया राज्य सरकार ने। जिन्होंने पशुपालकों महिलाओं को एक ही जगह रोजगार उपलब्ध कराकर उनकी राहें आसान कर दी हैं। मुख्यमंत्री द्वारा गोबर खरीदी की शुरुआत कर लोगों को रोजगार से जोड़ने की पहल की गई थी। लेकिन अब गौमूत्र खरीदी के प्रारंभ होने से दोहरा लाभ मिल रहा है। आज पशुओं के विभिन्न उत्पाद हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के साथ ग्रामीण क्षेत्र में लोगों का आय का जरिया बन रहा है। पहले जहां गांव देहात में गौमूत्र व्यर्थ हो जाता था। लेकिन आज गौमूत्र से बने उत्पाद अच्छे दामों में बेच आज समूह की दीदियां अतिरिक्त आय अर्जित कर रही है।
छ.ग. शासन की अति महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा घुरवा एवं बाड़ी योजना अंतर्गत जिले के 2 गौठानो में गोमूत्र की खरीदी की जा रही है साथ ही इससे कीटनाशक, वृध्दिवर्धक का निर्माण किया जा रहा है। ग्राम गौठान टेकनार के दिशा ग्राम संगठन की महिलाओं के द्वारा गोमूत्र की खरीदी कर उनसे कीटनाशक, वृध्दिवर्धक बनाया जा रहा है।
इसी तरह ग्राम गोठान भैरमबंद के दुर्गा ग्राम संगठन की महिलाओं के द्वारा गोमूत्र की खरीदी कर उनसे कीटनाशक, वृध्दिवर्धक जैसे उत्पाद बनाये जा रहे है वर्तमान में संगठन की महिलाओं के द्वारा 1770 लीटर गौमूत्र क्रय किया गया। जिसमें 625 लीटर कीटनाशक का उत्पादन, 3820 लीटर वृध्दिवर्धक का उत्पादन किया गया। जिसमें कीटनियंत्रक 50 रूपये, वृध्दिवर्धक- 40 रूपये का दर निर्धारित किया गया है। जिसमें समूह की दीदियों द्वारा कीटनाशक और वृध्दिवर्धक उत्पादों का विक्रय कर 1 लाख 80 हज़ार 108 रू अर्जित किये है। इससे 42 से ज्यादा महिलाएं लाभान्वित हो रही हैं। जिले के किसानों को भी इसके उपयोगिता के महत्व को समझते हुए उपयोग करने की समझाइश दी जा रही है उन्हें बताया जा रहा है कि कीट नियंत्रक प्रति एकड़ 6 लीटर कीट नियंत्रक को 200 लीटर पानी में मिलाकर 10-15 दिन के अंतराल में फसल पर छिड़काव किया जा सकता है और वृद्धि वर्धक- सिंचाई के साथ प्रति एकड़ 200 लीटर जीवामृत को 15-20 दिनों के अंतराल पर खड़ी फसल में आवश्यकतानुसार 5-6 बार छिड़काव किया जा सकता है समूह द्वारा बनाया गया उत्पाद जिले के सी मार्ट और सबंधित गौठानों से भी प्राप्त कर सकते हैं।