जगदलपुर । (बस्तर न्यूज) नगर के कॉंग्रेस भवन में अहिंसा के पुजारी व राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी और पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की जयंती सादगी व हर्षोल्लाष के साथ मनाई गई । कांग्रेसियो ने सर्वप्रथम उनकी छायाचित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि देकर गाँधी/शास्त्री को याद किया।
संसदीय सचिव/विधायक रेखचंद जैन ने उद्बोधन देते उनकी जीवनी पर प्रकाश डाला और कहा कि आज ही के दिन दो महान युग परुष का जन्म हुआ । जिन्हें बापू और शास्त्री के नाम से जाना जाता है इन महान पुरुषों ने अंग्रेजी ताकतों के खिलाफ सत्य औऱ अहिंसा को हथियार बनाकर कर देश छोड़ने पर मजबूर किया । अवज्ञा आंदोलन, दांडी यात्रा, असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह जैसे प्रमुख चरणबद्ध आंदोलन करके आज़ाद भारत की नीव रखी । गाँधी जी का जन्म गुजरात के पोरबंदर क्षेत्र में हुआ उनके पिता करम चन्द गाँधी पोरबंदर के दीवान थे । वाराणसी के छोटे से गांव में एक शिक्षक परिवार में लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म हुआ । वह देश के दूसरे प्रधानमंत्री थे । भारत को आजादी दिलाने और भारत के भविष्य का निर्माण करने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी । काशी विद्यापीठ में यह शामिल हुए जहां उन्हें महानुभाव और बुद्धिजीवियों से संपर्क बड़ा और यह देश को ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलाने के लिए गांधी के साथ हो चले अपने जीवन काल में इन्होंने भी कई उतार-चढ़ाव का अनुभव प्राप्त किया तथा जय जवान जय किसान का नारा देकर उन्होंने गांधी की ताकत बनकर अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर किया ।
महापौर सफीरा साहू ने उनकी जीवनी पर प्रकाश डालते बताया कि गांधी/शास्त्री उस युग के महान नेता थे जिन्होंने देश की आज़ादी में अहम भूमिका अदा की गाँधी प्रजातन्त्र के भारी समर्थक थे । सत्य अहिंसा के बल पर भारत को आज़ाद कराया उन्होंने समाज मे फैले छुआछुत की भावना को दूर करने के लिए बहुत प्रयास किये उन्होंने पिछड़ी जातियों को ईश्वर के नाम पर हरि-जन नाम दिया ।
जिला महामन्त्री अनवर खान कौशल नागवंशी सहित अन्य वक्ताओं ने भी बापू/शास्त्री की जीवनी पर प्रकाश डाला और कहा की स्वतंत्रता के महानायक गांधी, शास्त्री ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ जंगे आजादी के लिए अहिंसा को हथियार बनाकर लंबी लड़ाई लड़ी अंग्रेजों को यह समझ में आ गया था हमें इस वीर भूमि से खदेड़ा जाने वाला है । तथा हमारा अंत निश्चित है तथा अब हम फूट डालो राज करो की नीति पर इस धरती पर राज नहीं कर सकते तथा क्रांति आ चुकी है आखिरकार अंग्रेज भारत छोड़ने पर मजबूर हो गए ।
कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ कांग्रेसी सतपाल शर्मा ने किया । कार्यक्रम में काफी संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित थे । अंत में 2 मिनट का मौन धारण कर स्वतन्त्रता के महापुरुषों को श्रद्धान्जलि दी ।